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]]>नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार इस बात का जिक्र करते रहे हैं कि उनके लिए जातियां सिर्फ चार हैं, गरीब, किसान, महिला और युवा। इनके सशक्तिकरण के लिए वह हमेशा से प्रयास करते रहे हैं और करते रहेंगे। इनमें से किसान पीएम मोदी के विकास के संकल्प में शीर्ष पर हैं।
ऐसे में 2014 में नरेंद्र मोदी 1.0 सरकार के गठन के बाद से ही किसानों को सशक्त करने को लेकर पीएम के प्रयास किसी से छुपे नहीं हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के 10 साल के कार्यकाल में किसानों को लेकर सरकार ने कई शानदार फैसले लिए जिसने किसानों की दिशा और दशा दोनों सुधारने में अहम योगदान दिया।
10 साल में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के प्रयास के तहत पीएम मोदी की सरकार ने कृषि का बजट हर साल बढ़ाया और इसका बेहतर उपयोग कैसे हो इसे भी सुनिश्चित किया। इसके साथ ही नकदी खेती के बेहतर विकल्प के बारे में किसानों को जागरूक करना, कृषि के लिए मिट्टी को स्वस्थ कैसे बनाया जाए इसकी जानकारी देना, खेती के लिए किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज मिले ये सुनिश्चित कराना, किसानों को खेती के लिए आसानी से ऋण कैसे मिले इसकी व्यवस्था करना।
कृषि के बुनियादी ढांचे को मजबूत कैसे बनाया जाए इसके लिए योजनाएं बनाना। किसानों को आपदा के समय कैसे सहायता मिले, फसलों की बीमा कैसे हो, ज्यादातर कृषि उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था के साथ किसान अपनी फसल को बाजार तक कैसे पहुंचाएं या किसानों की पहुंच बाजार तक कैसे हो इसकी व्यवस्था करना। किसानों को पारंपरिक खेती के साथ नकदी खेती के जरिए कैसे अतिरिक्त आय के अवसर बने इसके बारे में जागरूक करना। किसानों को वित्तीय सुरक्षा मुहैया कराना, कृषि में उन्नत तकनीक का उपयोग कैसे हो इसकी व्यवस्था करना से लेकर, अन्नदाता सम्मान जैसे काम किए हैं।
पीएम मोदी का किसानों और कृषि के प्रति लगाव और उनके विकास की दिशा में काम करने का तरीका गुजरात के सीएम रहते भी वैसा ही था। उनके सीएम रहते गुजरात के किसानों ने तेजी से प्रगति की और गुजरात कृषि उत्पादों में आत्मनिर्भर बना। किसानों की दशा सुधरी और उन्हें खेती की लागत से बहुत ज्यादा फसल बेचकर मुनाफा होने लगा।
किसानों को सोयल हेल्थ कार्ड पीएम मोदी के समय में जारी किया गया ताकि किसानों को मिट्टी के बारे में पूर्ण जानकारी मिल सके कि वह जिस मिट्टी पर फसल बोने वाले हैं वहां किस तरह की फसल के लिए वह मिट्टी बेहतर विकल्प है। मिट्टी की स्वास्थ्य संरचना कैसी है और उसकी उर्वरता क्षमता को बढ़ाने के लिए क्या किया जा सकता है। 22 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को अभी तक निःशुल्क वितरित किया गया है।
पीएम नरेंद्र मोदी के इस दस साल के कार्यकाल में कई किसानों को पद्म पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। किसानों की आय कैसे बढ़े इसके लिए एक साल में कई बार एमएसपी में सुधार भी किया गया।
मोदी सरकार के कार्यकाल में एमएसपी पर खरीदी में तेज उछाल भी देखा गया। किसानों को फसल बीमा का लाभ देने के साथ पीएम किसान योजना और किसानों के खाते में हर साल 6000 रुपए की रकम सीधे भेजना जैसे कामों के साथ किसानों को सशक्त बनाने पर बल दिया गया। किसानों की फसल को लेकर कोल्ड चेन, मेगा फूड पार्क के साथ ही कई और अन्य प्रकार के कृषि प्रसंस्करण बड़े पैमाने पर स्थापित किए गए। पीएम मोदी की सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ के साथ ही ‘आत्मनिर्भर किसान’ पर भी काम करती रही है।
मोदी सरकार के दस साल में कृषि बजट में 5 गुना तक की बढ़ोतरी की गई है। 2007-14 के बीच कृषि का बजट जहां 1.37 लाख करोड़ रुपए था वहीं 2014-25 के बीच यह बढ़कर 7.27 लाख करोड़ रुपए हो गया।
किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत हर साल 6000 रुपए की जो राशि दी जाती है। वह अब तक 11 करोड़ किसानों को दी गई है। किसानों की फसल को बाजार मिले इसके लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए सरकार की तरफ से 1 लाख करोड़ रुपये का एग्री इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड दिया गया। पहली बार 22 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण किया गया जो फसल की लागत मूल्य से 50 प्रतिशत अधिक था। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी की सरकार ने जो प्रयास किए वह पूर्व में किसी भी सरकार के द्वारा नहीं किया गया।
पीएम मोदी ने किसानों को जो यूरिया खाद मिलता था उसकी कालाबाजारी को रोकने के लिए नीम कोटेड यूरिया की व्यवस्था कर दी। यूरिया के अवैध डायवर्सन को इससे पूरी तरह रोक दिया गया और किसानों को अब खाद के लिए लंबी लाइन नहीं लगानी पड़ती हैं। इसके अलावा, कई बेद पड़े खाद के कारखानों को फिर से शुरू किया गया जिससे नौकरियां पैदा होने के साथ उर्वरकों में आत्मनिर्भरता भी बढ़ी है।
2015-16 में जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने परम्परागत कृषि विकास योजना प्रारम्भ की जिसके तहत अब तक किसानों को 70 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति योजना के तहत जीरो बजट खेती जहां शून्य क्रेडिट की आवश्यकता है और यहां खेती में रासायनिक उर्वरकों का भी उपयोग नहीं होता। इसको लेकर सरकार की तरफ से किसानों को जागरूक किया गया।
सरकार की तरफ से बेहतर बीज की उपलब्धता 2014-15 में 158.19 लाख क्विंटल थी जो 2022-23 में बढ़कर 514.26 लाख क्विंटल हो गया। किसानों की बाजार तक पहुंच बेहतर हो इसके लिए ग्रामीण सड़कों का जाल बिछाने का काम भी सरकार की तरफ से तेजी से किया गया। 2014-15 में जहां 4.19 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें थी वह फरवरी 2023 तक 7.53 लाख किलोमीटर हो गया।
2014 में जहां 318.23 लाख मीट्रिक टन खाद्यानों को कोल्ड स्टोरेज में रखने की क्षमता थी उसे फरवरी 2023 तक बढ़ाकर 394.17 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है। 2007-14 के बीच जहां एमएसपी पर धान की खरीद 2.58 लाख करोड़ रुपए की हुई थी वह 2014-21 के बीच 187 प्रतिशत बढ़कर 7.43 लाख करोड़ हो गई। 2013-14 में की तुलना में धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 2022-23 में 172 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
वहीं, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी 2007-14 में 1.99 लाख करोड़ रुपए जो 2022-23 में 83 प्रतिशत बढ़कर 3.65 लाख करोड़ रुपए हो गई। इसी तरह तिलहन की फसलों पर खरीदी और एमएसपी दोनों में बड़ा इजाफा हुआ है।
रबी की फसलों के लिए जहां 2010-11 में 1120 रुपए प्रति क्विंटल और 2013-14 में 1400 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी तय थी वह नवंबर 2023-24 में बढ़कर 2275 रुपए प्रति क्विंटल हो गया। मसूर की एमएसपी में भी 2013-14 के मुकाबले 2023-24 तक दोगुने से ज्यादा का इजाफा हुआ है। वैसे ही चने और जौ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इस दौरान बड़ा इजाफा किया गया है।
मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी के न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी दोगुने से ज्यादा बढ़ाया गया है। साथ ही मोदी सरकार की नीतियों की वजह से मोटे अनाज की मांग देश के बाहर पूरी दुनिया में अब तेजी से बढ़ी है। एमएफपी और एमएसपी से लाभान्वित परिवारों की संख्या में भी 25 गुना का इजाफा इन 10 सालों में हुआ है।
एमएसपी के तहत वन उत्पाद की संख्या में 8 गुना से अधिक की वृद्धि की गई है। पहले 10 वन उत्पाद पर एमएसपी का लाभ मिलता था जो अब 87 हो गई है।
एमएसपी के तहत वन उत्पाद की संख्या में 8 गुना से अधिक की वृद्धि की गई है। पहले 10 वन उत्पाद पर एमएसपी का लाभ मिलता था जो अब 87 हो गई है।
2014 तक जहां 2 मेगा फूड पार्क देश में थे वह पीएम मोदी के 10 साल के कार्यकाल में बढ़कर 23 हो गए हैं। 2014 तक देश में कोल्ड चेन जो 37 की संख्या में था 2023 तक उसकी संख्या 273 हो गई है।
कृषि के साथ दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन, शहद उत्पादन जैसी कई और गतिविधियों के जरिए नियमित आय के स्त्रोत किसानों के लिए बने इसके लिए भी सरकार की तरफ से व्यवस्था की गई है। ऐसे में सरकार की तरफ से नीली क्रांति के तहत बजट को 10 गुना बढ़ाया गया है। वहीं हॉर्टिकल्चर प्रोडक्शन को भी 26 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाया गया है।
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]]>The post सिंघु और टिकरी बॉर्डर खुलने शुरू, कंक्रीट की दीवार तोड़ रही पुलिस; लोगों को मिलेगी राहत first appeared on Khabar Vahini.
]]>नई दिल्ली : किसान आंदोलन के बीच दिल्ली पुलिस ने बड़ा फैसला किया है। दिल्ली पुलिस टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए लगाए बैरिकेड को अस्थाई तौर पर हटा रही है ताकि रास्ते को आम यातायात के लिए खोला जा सके। बताया जा रहा है कि पुलिस सड़क के दोनों तरफ का एक हिस्सा आवाजाही के लिए खोल रही है। इससे लोगों को दिल्ली आवागमन में काफी राहत मिल सकेगी। किसानों के दिल्ली में प्रवेश को रोकने के लिए पुलिस ने दोनों बॉर्डर पर कंक्रीट की दीवार से बैरिकेडिंग की थी।
बता दें कि न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत करीब दर्जन भर मांगों को लेकर किसान अभी भी पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसानों ने दो बार हरियाणा का बॉर्डर पार करने की कोशिश की, लेकिन हरियाणा पुलिस ने खदेड़ दिया। जिसके बाद से किसान शंभू बॉर्डर पर ही डटे हुए हैं और दिल्ली कूच करने का फैसला दो दिनों के लिए टाल दिया है। किसान नेताओं ने कहा था कि वे 29 फरवरी तक दिल्ली कूच नहीं करेंगे।
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]]>खबर वाहिनी न्यूज
नई दिल्ली: एमएसपी समेत कई मांगों को लेकर पंजाब के किसान दिल्ली कूच करने को तैयार हैं. पंजाब-हरियाणा के बीच शंभू बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान डटे हैं और आज यानी बुधवार को दिल्ली कूच करेंगे. हालांकि, इस बीच केंद्र सरकार और प्रशासन की ओर से उन्हें मनाने की कोशिशें जारी हैं. इस बीच केंद्र का अनुमान है कि पंजाब-हरियाणा सीमा पर 1,200 ट्रैक्टर-ट्रॉली, 300 कार और 10 मिनी बस के अलावा कई अन्य छोटे वाहनों के साथ लगभग 14,000 किसान जमा हैं. सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार ने किसानों की इस मौजूदगी को लेकर पंजाब सरकार के समक्ष कड़ी आपत्ति जताई है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार को भेजे पत्र में कहा कि पिछले कुछ दिनों से राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति चिंता का विषय है और मंत्रालय ने राज्य सरकार को कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा. गृह मंत्रालय ने कहा कि किसानों की आड़ में कई उपद्रवी पंजाब की हरियाणा से लगी शंभू सीमा के पास भारी मशीनरी जुटा रहे हैं और पथराव कर रहे हैं. मंत्रालय ने कहा कि केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 14,000 लोगों को राजपुरा-अंबाला रोड पर शंभू बैरियर पर एकत्र होने दिया गया और उनके साथ लगभग 1,200 ट्रैक्टर-ट्रॉली, 300 कार,10 मिनी बस और अन्य छोटे वाहन भी हैं.
रिपोर्ट ने दावा किया कि इसी तरह, पंजाब ने ढाबी-गुजरां बैरियर पर करीब 500 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ लगभग 4,500 लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति दी है. मंत्रालय ने पंजाब सरकार से कहा कि पंजाब में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पिछले कुछ दिनों से चिंता का विषय बनी हुई है, क्योंकि ऐसा लगता है कि विरोध की आड़ में उपद्रवियों और कानून तोड़ने वालों को पथराव करने और भारी मशीनरी जुटाने की खुली छूट दे दी गई है और उनका इरादा पड़ोसी राज्यों में अशांति और अव्यवस्था पैदा करना है.
रिपोर्ट के अनुसार किसानों के विरोध की आड़ में विघटनकारी गतिविधियां कर रहे सभी लोगों पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल समीक्षा किए जाने और कड़ी कार्रवाई किए जाने का अनुरोध किया जाता है. गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि रिपोर्टों के अनुसार, अदालत ने पंजाब सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि प्रदर्शनकारी बड़ी संख्या में इकट्ठा न हों और उसने खासकर राजमार्गों पर ट्रैक्टर-ट्रॉली, जेसीबी और अन्य भारी उपकरणों के इस्तेमाल पर गंभीर आपत्ति जताई है.
फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी को लेकर केंद्र के साथ चार दौर की वार्ता विफल होने के बाद, प्रदर्शनकारी किसान पंजाब-हरियाणा सीमा पर दो स्थानों से बुधवार को फिर से अपना मार्च शुरू करने के लिए तैयार हैं. किसान नेताओं के साथ चौथे दौर की बातचीत में तीन केंद्रीय मंत्रियों की समिति ने रविवार को प्रस्ताव दिया था कि किसानों के साथ समझौता करने के बाद सरकारी एजेंसियां पांच साल तक दालें, मक्का और कपास एमएसपी पर खरीदेंगी, लेकिन किसान नेताओं ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया.
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]]>चंडीगढ़ : तीन केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच चौथे दौर की बैठक सोमवार तड़के चार घंटे से अधिक के विचार-विमर्श के बाद समाप्त हुई। इसमें केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर दालें और कपास खरीदने के लिए किसानों के साथ पांच साल के समझौते का प्रस्ताव रखा है।
वहीं, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा- हम कृषि विशेषज्ञ और कानून एक्सपर्ट्स से प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे। इसके बाद कोई निर्णय लेंगे। आज वे अपने साथियों से भी इस बारे में विचार विमर्श करेंगे। इसके बाद 20 की शाम को अपना फैसला बता देंगे। 21 की सुबह 11 बजे तक दिल्ली कूच को स्टैंडबाय पर रखा है। तब तक हम केंद्र के सामने अपनी बात रखने की कोशिश करेंगे।
यह कहते हुए कि बातचीत सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और वे कुछ हद तक आम सहमति पर पहुंचे, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, नए विचारों साथ, हमने भारतीय किसान मजदूर संघ और अन्य किसान नेताओं के साथ सकारात्मक चर्चा की। किसान संघ प्रतिनिधियों ने कुछ सकारात्मक सुझाव दिए हैं, इसमें पंजाब, हरियाणा के किसानों के साथ-साथ देश के अन्य किसानों, अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा।
उन्होंने वार्ता के बाद मीडिया से कहा, हमने मिलकर एक बहुत ही इनोवेटिव, आउट-ऑफ-द-बॉक्स विचार प्रस्तावित किया है। सरकार ने एनसीसीएफ (नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) और एनएएफईडी (नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया) जैसी सहकारी समितियों के लिए अगले पांच वर्षों में किसानों से एमएसपी पर उत्पाद खरीदने के लिए एक अनुबंध बनाने का प्रस्ताव रखा है। इसमें मात्रा की कोई सीमा नहीं होगी। कपास की खरीद के लिए, गोयल ने कहा, हमने प्रस्ताव दिया कि भारतीय कपास निगम एमएसपी पर कपास की फसल खरीदने के लिए किसानों के साथ पांच साल का समझौता करेगा।
गोयल के अलावा, मंत्रियों से बातचीत करने वाले अन्य केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय थे। किसान नेताओं के साथ विचार-विमर्श शुरू करने से पहले उन्होंने सेक्टर 17 के एक होटल में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ अनौपचारिक बैठक की। प्रदर्शनकारी किसान संगठनों की एक छत्र संस्था, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की पंजाब इकाई ने 20 से 22 फरवरी तक भाजपा के सांसदों, विधायकों और जिला अध्यक्षों के खिलाफ दिन-रात बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। इस बीच, हरियाणा में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध दो दिन और 19 फरवरी तक बढ़ा दिया गया है।
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]]>The post कल किसानों और सरकार के बीच फिर होगी वार्ता, आंदोलन को लेकर हो सकता है बड़ा फैसला first appeared on Khabar Vahini.
]]>चंडीगढ़ : किसान आंदोलन के दूसरे चरण को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों फिर से वार्ता की मेज पर आ गए हैं। कल शाम पांच बजे बैठक होगी। बैठक के लिए किसानों ने भी हामी भर दी है। इसी के साथ किसानों ने न्यूज एजेंसी के स्टाफ पर हुए हमले की माफी मांगी है। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय कल प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के नेताओं के साथ बातचीत करेंगे। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों के मुताबिक, चंडीगढ़ में तीसरे दौर की बातचीत कल होगी। सूत्रों ने बताया कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बातचीत की जाएगी। इससे पहले तीनों मंत्रियों ने किसान संगठनों के नेताओं के साथ चंडीगढ़ में दो दौर की बैठक की थी लेकिन बातचीत बेनतीजा रही और किसानों ने मंगलवार को अपना प्रदर्शन शुरू कर दिया। पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने जानकारी देते हुए कहा कि इस बैठक में जो प्रस्ताव पेश किया जाएगा उसके बाद किसान नेता आगे के आंदोलन को लेकर फैसला लेंगे।
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]]>The post आर-पार के मूड में किसान: 16 फरवरी को किसानों का भारत बंद, 13 को करेंगे दिल्ली कूच first appeared on Khabar Vahini.
]]>सिरसा : केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागू न करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर किसानों के 13 फरवरी को ‘दिल्ली कूच’ को लेकर हरियाणा पुलिस अलर्ट मोड पर है। वहीं किसानों द्वारा 16 फरवरी को भारत बंद का आह्वान कर दिया गया है। उधर, हरियाणा सरकार ने किसानों को रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।
सिरसा व सरहद के पंजाब व राजस्थान राज्यों से किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए पुलिस ने राष्ट्रीय राजमार्ग 09, सिरसा-चंडीगढ़ स्टेट हाई वे सहित विभिन्न संपर्क मार्गों को उखाड़ने के साथ-साथ बड़े पत्थरों व किलें गाड़ देने से इन क्षेत्रों का दिल्ली व चंडीगढ़ से संपर्क टूट गया है। इसके अलावा सिरसा सहित प्रदेश के सात जिलों में इंटरनेट सेवा ठप करने से आम जनमानस परेशान है। सिरसा जिला में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। शनिवार बाद दोपहर से हरियाणा से चंडीगढ़ व पंजाब जाने वाली राज्य परिवहन व अन्य बसों का आवागमन बंद पड़ा है। रास्ते इस कदर बंद किए गए हैं कि किसी आपात स्थिति में एम्बुलेंस वाहन भी नहीं गुजर पाएगा।
सिरसा चंडीगढ़ स्टेट हाई वे को हरियाणा पंजाब सरहद पर गांव मुसाहिबवाला के पास सड़क को खोदने के साथ-साथ भारी पत्थर लगाकर अवरुद्ध कर दिया गया है। यहां हरियाणा पुलिस व केंद्रीय सुरक्षा बल के जवानों की तैनाती की गई है। पुलिस उपाधीक्षक सुभाष चन्द्र व सिरसा सदर थाना प्रभारी सुखदेव सिंह की अगुवाई में तैनात जवानों ने आवागमन पूर्ण रूप से रोक दिया है।
इसके कारण हरियाणा-पंजाब से सड़क सम्पर्क टूट गया है। इसी तरह सिरसा-डबवाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर गांव खैरेंका के पास सड़क पर किलें गाडऩे के साथ-साथ बड़े पत्थर लगाकर मार्ग को रोक दिया गया है। कमोबेश इसी तरह डबवाली,रोड़ी,कालांवाली के पास पंजाब जाने वाले रास्तों को अवरूद्ध किया गया है। जिला पुलिस ने एक एडवाइजरी जारी कर पड़ोसी राज्य राजस्थान व अन्य स्थानों से दिल्ली,पंजाब व चंडीगढ़ जाने वाले वाहनों के सिरसा जिला के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है। मार्ग अवरूद्ध होने से राजस्थान से पंजाब व चंडीगढ़ जाने वाले भारी वाहन सड़क किनारे होटल व ढाबों पर खड़े हो गए हैं।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ममता सिंह को सिरसा जिला में कानून और व्यवस्था के लिए विशेष तौर पर तैनात किया गया है। सुश्री ममता सिंह व सिरसा के पुलिस अधीक्षक विक्रांत भूषण ने हरियाणा-पंजाब की सरहद पर किए गए बंदोबस्त का जायजा लिया। रविवार सुबह से ही अगले तीन दिन के लिए इंटरनेट सेवा ठप्प कर दी गई है। जिला में धारा 144 लगा दी गई है। विभिन्न किसान जथेबंदियो के पदाधिकारियों की गतिविधियों पर प्रशासन व पुलिस की पैनी नजऱ है।
उधर, भारतीय किसान एकता के राष्ट्रीय अध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने कहा है कि लाठी और बंदूक से किसान को नही दबाया जा सकता। किसान केंद्र सरकार द्वारा मांगी गई मागो को ही मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान हर हालत में कानून के दायरे में रहकर दिल्ली पहुंचेगा।
रविवार को उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने संयुक्त किसान मोर्चा व किसान मजदूर मोर्चा के दिल्ली कूच के आह्वान के मद्देनजर अधिकारियों की बैठक ली। अधिकारियोंं को निर्देश दिए गए कि वे यह सुनिश्चित करें कि जिला में बिजली, पानी, चिकित्सा, यातायात जैसी अतिआवश्यक सेवाएं किसी भी सूरत में प्रभावित न हो। इसके अलावा कानून व शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए अधिकारी सभी मुख्य स्थानों को चिह्निïत करके अतिरिक्त सुरक्षा के कड़े इंतजाम करें। उपायुक्त ने कहा कि सभी अधिकारी अपने हैडक्वार्टर पर मौजूद रहेंगे और सभी एसडीएम अपने-अपने क्षेत्रों में नाकों का निरीक्षण करें और आवश्यक इंतजाम पुख्ता करें। इसके अलावा सभी ड्यूटी मजिस्ट्रेट अपनी ड्यूटी के तहत निर्धारित स्थानों का निरीक्षण करे व स्थिति पर कड़ी निगरानी रखें।
वहीं एक अन्य आदेश में पार्थ गुप्ता ने कहा है कि जिला में तुरंत प्रभाव से पांच या पांच से अधिक व्यक्तियों के एकत्रित होने पर पूर्णरूप से प्रतिबंध लगाया गया है। इसके अलावा आग्नेयास्त्र, तलवार, लाठी, डंडा, बरछा, कुल्हाड़ी, जाली, फरसा, गंडासी, भल्ला, रॉड, हॉकी, चेन या कोई अन्य वस्तु जो अपराध के हथियार के रूप में इस्तेमाल की जा सकती है, जिसमें ईंट और पत्थर के टुकड़े आदि शामिल हैं, को लेकर चलने पर पाबंदी रहेगी। आदेशों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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]]>The post जिला पुलिस ने जारी की एडवाइजरी 3/4 दिन पंजाब की तरफ गैरजरूरी सफर ना करें किसान आंदोलन के चलते बाधित होंगे रास्ते first appeared on Khabar Vahini.
]]>खबर वाहिनी न्यूज
जींद (10 फ़रवरी) : किसान संगठनों द्वारा 13 फरवरी को दिल्ली कूच के आह्वान के चलते जींद पुलिस द्वारा यात्रियों की सुविधा को लेकर एहतियात के तौर पर ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की गई है। जिला पुलिस ने इस दौरान लोगों से 13 फरवरी को प्रदेश के मुख्य मार्ग का उपयोग अति आवश्यक स्थिति में ही करने की सलाह दी है। हरियाणा से पंजाब की ओर जाने वाले सभी मुख्य मार्गों पर यातायात के बाधित रहने की संभावना है।
अतः आमजन से अपील की गई है कि वे पंजाब की ओर यात्रा अति आवश्यक परिस्थितियों में ही करें किसी कारण वष जाना भी पडे तो लोकल/लिंक रोड गांवों के रास्ते से होकर जा सकते हैं। शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने, किसी भी तरह की हिंसा को रोकने और यातायात और सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को सुविधाजनक बनाने के लिए पुलिस द्वारा विस्तृत व्यवस्था की गई है। लोग किसी भी असहज परिस्थिति में डायल-112 पर संपर्क कर सकते हैं।
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]]>The post भारतीय किसान यूनियन द्वारा किया गया अब 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद (भारत बंद) का ऐलान first appeared on Khabar Vahini.
]]>जींद – भारतीय किसान यूनियन द्वारा सोमवार को जींद (हरियाणा) मे किसान भवन में बैठक का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता रघवीर उर्फ भीरा रूपगढ़ ने की। बैठक में 26 जनवरी की ट्रैक्टर यात्रा के बाद अब 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद (भारत बंद) का ऐलान किया है। इस दिन गांव से किसान और मजदूर न तो खेतों में जाएंगे और न ही शहर में आएंगे। दुकानदारों को भी किसानों के साथ देने के लिए मनाया जाएगा।
इससे पहले बैठक में जलालपुर कलां निवासी सुमित काली को भारतीय किसान यूनियन का युवा जिला उपाध्यक्ष पद दिया गया। साथ ही रमेश श्योकंद डूमरखां को युवा शहरी अध्यक्ष का पद सौपा गया। युवा जिला अध्यक्ष बिंद्र नंबरदार ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली किसान आंदोलन को स्थगित हुए करीब दो साल का समय बीत चुका है लेकिन केंद्र सरकार ने आज तक अपना वादा पूरा नही किया है। एमएसपी पर खरीद गांरटी का कानून बनाए जाने साहित अन्य मांगों को पूरा नहीं किया गया है। इसको लेकर देशभर के किसानों में रोष पनप रहा है।
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]]>The post हरियाणा के किसानों को अब दिन के समय में मिलेगी ट्यूबवेलों पर बिजली first appeared on Khabar Vahini.
]]>चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में बढ़ रही ठंड और शीतलहर को देखते हुए सरकार ने रात के समय में अपने खेतों में सिंचाई करने वाले किसान भाईयों को बड़ी राहत देते हुए ट्यूबवेलों के लिए बिजली सप्लाई के शेड्यूल में बदलाव किया है।
उन्होंने कहा कि ऊर्जा विभाग ने कुल 19 सर्कलों के दो ग्रुप बनाए हैं। इनमें से 7 सर्कल नामतः करनाल, कैथल, सिरसा, फतेहाबाद, भिवानी, सोनीपत और जींद में बिजली प्रातःकाल 5 बजे से दोपहर 1 बजे तक मिलेगी। शेष सभी सर्कलों में प्रातः 10 बजे से लेकर सायं 6 बजे बिजली मिलेगी। इस निर्णय से किसानों की कठिनाई कम होगी और वे दिन के समय में अपने खेतों को सिंचित कर सकेंगे।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि बिजली आपूर्ति का यह शेड्यूल, जो आज शुरू किया गया है, 31 जनवरी तक जारी रहेगा। 31 जनवरी के बाद इसकी पुनः समीक्षा की जाएगी और यदि आवश्यकता हुई तो इसे आगे भी बढ़ाया जाएगा।
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]]>गुरुग्राम : हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जय प्रकाश दलाल ने कहा कि हरियाणा में ड्रोन के जरिए नैनो उर्वरकों के फसल में छिड़काव को प्रोत्साहन देने के लिए नई योजना तैयार की गई है, जिसके तहत खेत में मात्र 100 रुपए के शुल्क पर नैनो तरल यूरिया का छिड़काव होगा।
उन्होंने यह बात रविवार को गुरुग्राम के सेक्टर 17 स्थित इफको एफ़एमडीआई में सहकारी संस्था इफको द्वारा कृषि ड्रोन प्रोद्योगिकी कार्यशाला एवं कृषि ड्रोन वितरण कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए कही।
श्री जय प्रकाश दलाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने खेती के कार्य में तकनीक के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक सराहनीय कार्य किए है जिनमें से एक ड्रोन के जरिए उर्वरकों के छिड़काव को प्रोत्साहन देने का कार्यक्रम भी है। इफको द्वारा नैनो उर्वरकों की खोज एक क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने कार्यक्रम में हरियाणा के विभिन्न जिलों से आए ड्रोन उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा कि इफको की ड्रोन प्रोत्साहन योजना से जुड़कर आप सभी को जीवन में आगे बढ़ने का अवसर मिला है। साथ ही खेती में कम लागत पर अधिक उत्पादन से किसानों को भी इस योजना का सीधे लाभ मिलेगा।
इलेक्ट्रिकल व्हीकल प्रदान किए। उन्होंने कहा कि कृषि ड्रोन से ड्रोन उद्यमी क्षेत्र के किसानों को बेहतर सेवा प्रदान करेंगे, साथ ही कृषि ड्रोन युवा उद्यमियों व ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार सृजन करेंगे। कृषि में रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग के कारण गिरते हुए मिट्टी के स्वास्थ्य पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए व मिट्टी के स्वास्थ्य सुधार हेतु इफको नैनो उर्वरको का प्रयोग अच्छा विकल्प है।
कार्यक्रम की अध्य़क्षता करते हुए इफको के निदेशक एके गुप्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहकार से समृद्धि के उद्देश्य से प्रेरित होकर नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के उपयोग को आसान बनाने के लिए 2500 इफको किसान ड्रोन खरीदने का अभियान कुछ माह पूर्व शुरू किया था। इससे 5000 ग्रामीण उद्यमियों का विकास संभव हो सकेगा। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उत्थान हेतु सतत कृषि एवं समग्र सहकारी विकास की दिशा में बड़ा कदम है। ड्रोन को किसानों के खेत तक ले जाने के लिए प्रत्येक ड्रोन के साथ इको फ्रेंडली इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर भी प्रदान किया रहा है।
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