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]]>नई दिल्ली : 1 फरवरी 2025 से UPI ट्रांजेक्शन बंद होने का खतरा है. दरअसल, अगर पेमेंट ऐप ट्रांजेक्शन ID में स्पेशल कैरेक्टर यूज करती है तो सेंट्रल सिस्टम उस ऐप से ट्रांजेक्शन को एक्सेप्ट नहीं करेगा।
अगर आप UPI पेमेंट ऐप यूज करते हैं तो यह खबर आपके काम की है. दरअसल, 1 फरवरी से कोई भी UPI ऐप ट्रांजेक्शन ID जनरेट करने के लिए स्पेशल कैरेक्टर यूज नहीं कर पाएगी. अगर कोई ऐप ट्रांजेक्शन ID में स्पेशल कैरेक्टर यूज करेगी तो सेंट्रल सिस्टम उस पेमेंट को कैंसिल कर देगा. नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने ये दिशानिर्देश बिजनेस यूजर्स के लिए जारी किए थे, लेकिन इसका असर आम ग्राहकों पर भी पड़ने वाला है।
इसलिए किया जा रहा है बदलाव
NPCI UPI ट्रांजेक्शन ID जनरेट करने की प्रोसेस को स्टैंडर्ड बनाना चाहता है. इसलिए उसने सभी कंपनियों से ट्रांजेक्शन ID में केवल अल्फान्यूमेरिक कैरेक्टर ही जोड़ने के आदेश दिए हैं. ये आदेश 1 फरवरी से लागू हो जाएंगे. इसका मतलब है कि अगर कोई ऐप इन आदेशों का पालन नहीं करती है तो UPI के जरिये पेमेंट पूरी नहीं होगी. आदेशों का पालन करने की जिम्मेदारी ऐप्स पर ही डाली गई है।
पहले भी जारी किए थे आदेश
NPCI ने पहले भी इस प्रोसेस को स्टैंडर्ड बनाने के लिए आदेश जारी किए थे. बीते साल मार्च में आए आदेशों में ट्रांजेक्शन ID को 35 कैरेक्टर में बनाने की बात कही गई थी. इससे पहले ट्रांजेक्शन ID में 4 से लेकर 35 कैरेक्टर तक होते थे. इसे देखते हुए 35 कैरेक्टर की ID जनरेट करने की बात कही गई थी.
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]]>The post मोदी सरकार की नीति ‘किसान फर्स्ट’, ये आंकड़े हैं इसका प्रमाण first appeared on Khabar Vahini.
]]>नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार इस बात का जिक्र करते रहे हैं कि उनके लिए जातियां सिर्फ चार हैं, गरीब, किसान, महिला और युवा। इनके सशक्तिकरण के लिए वह हमेशा से प्रयास करते रहे हैं और करते रहेंगे। इनमें से किसान पीएम मोदी के विकास के संकल्प में शीर्ष पर हैं।
ऐसे में 2014 में नरेंद्र मोदी 1.0 सरकार के गठन के बाद से ही किसानों को सशक्त करने को लेकर पीएम के प्रयास किसी से छुपे नहीं हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के 10 साल के कार्यकाल में किसानों को लेकर सरकार ने कई शानदार फैसले लिए जिसने किसानों की दिशा और दशा दोनों सुधारने में अहम योगदान दिया।
10 साल में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के प्रयास के तहत पीएम मोदी की सरकार ने कृषि का बजट हर साल बढ़ाया और इसका बेहतर उपयोग कैसे हो इसे भी सुनिश्चित किया। इसके साथ ही नकदी खेती के बेहतर विकल्प के बारे में किसानों को जागरूक करना, कृषि के लिए मिट्टी को स्वस्थ कैसे बनाया जाए इसकी जानकारी देना, खेती के लिए किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज मिले ये सुनिश्चित कराना, किसानों को खेती के लिए आसानी से ऋण कैसे मिले इसकी व्यवस्था करना।
कृषि के बुनियादी ढांचे को मजबूत कैसे बनाया जाए इसके लिए योजनाएं बनाना। किसानों को आपदा के समय कैसे सहायता मिले, फसलों की बीमा कैसे हो, ज्यादातर कृषि उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था के साथ किसान अपनी फसल को बाजार तक कैसे पहुंचाएं या किसानों की पहुंच बाजार तक कैसे हो इसकी व्यवस्था करना। किसानों को पारंपरिक खेती के साथ नकदी खेती के जरिए कैसे अतिरिक्त आय के अवसर बने इसके बारे में जागरूक करना। किसानों को वित्तीय सुरक्षा मुहैया कराना, कृषि में उन्नत तकनीक का उपयोग कैसे हो इसकी व्यवस्था करना से लेकर, अन्नदाता सम्मान जैसे काम किए हैं।
पीएम मोदी का किसानों और कृषि के प्रति लगाव और उनके विकास की दिशा में काम करने का तरीका गुजरात के सीएम रहते भी वैसा ही था। उनके सीएम रहते गुजरात के किसानों ने तेजी से प्रगति की और गुजरात कृषि उत्पादों में आत्मनिर्भर बना। किसानों की दशा सुधरी और उन्हें खेती की लागत से बहुत ज्यादा फसल बेचकर मुनाफा होने लगा।
किसानों को सोयल हेल्थ कार्ड पीएम मोदी के समय में जारी किया गया ताकि किसानों को मिट्टी के बारे में पूर्ण जानकारी मिल सके कि वह जिस मिट्टी पर फसल बोने वाले हैं वहां किस तरह की फसल के लिए वह मिट्टी बेहतर विकल्प है। मिट्टी की स्वास्थ्य संरचना कैसी है और उसकी उर्वरता क्षमता को बढ़ाने के लिए क्या किया जा सकता है। 22 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को अभी तक निःशुल्क वितरित किया गया है।
पीएम नरेंद्र मोदी के इस दस साल के कार्यकाल में कई किसानों को पद्म पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। किसानों की आय कैसे बढ़े इसके लिए एक साल में कई बार एमएसपी में सुधार भी किया गया।
मोदी सरकार के कार्यकाल में एमएसपी पर खरीदी में तेज उछाल भी देखा गया। किसानों को फसल बीमा का लाभ देने के साथ पीएम किसान योजना और किसानों के खाते में हर साल 6000 रुपए की रकम सीधे भेजना जैसे कामों के साथ किसानों को सशक्त बनाने पर बल दिया गया। किसानों की फसल को लेकर कोल्ड चेन, मेगा फूड पार्क के साथ ही कई और अन्य प्रकार के कृषि प्रसंस्करण बड़े पैमाने पर स्थापित किए गए। पीएम मोदी की सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ के साथ ही ‘आत्मनिर्भर किसान’ पर भी काम करती रही है।
मोदी सरकार के दस साल में कृषि बजट में 5 गुना तक की बढ़ोतरी की गई है। 2007-14 के बीच कृषि का बजट जहां 1.37 लाख करोड़ रुपए था वहीं 2014-25 के बीच यह बढ़कर 7.27 लाख करोड़ रुपए हो गया।
किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत हर साल 6000 रुपए की जो राशि दी जाती है। वह अब तक 11 करोड़ किसानों को दी गई है। किसानों की फसल को बाजार मिले इसके लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए सरकार की तरफ से 1 लाख करोड़ रुपये का एग्री इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड दिया गया। पहली बार 22 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण किया गया जो फसल की लागत मूल्य से 50 प्रतिशत अधिक था। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी की सरकार ने जो प्रयास किए वह पूर्व में किसी भी सरकार के द्वारा नहीं किया गया।
पीएम मोदी ने किसानों को जो यूरिया खाद मिलता था उसकी कालाबाजारी को रोकने के लिए नीम कोटेड यूरिया की व्यवस्था कर दी। यूरिया के अवैध डायवर्सन को इससे पूरी तरह रोक दिया गया और किसानों को अब खाद के लिए लंबी लाइन नहीं लगानी पड़ती हैं। इसके अलावा, कई बेद पड़े खाद के कारखानों को फिर से शुरू किया गया जिससे नौकरियां पैदा होने के साथ उर्वरकों में आत्मनिर्भरता भी बढ़ी है।
2015-16 में जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने परम्परागत कृषि विकास योजना प्रारम्भ की जिसके तहत अब तक किसानों को 70 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति योजना के तहत जीरो बजट खेती जहां शून्य क्रेडिट की आवश्यकता है और यहां खेती में रासायनिक उर्वरकों का भी उपयोग नहीं होता। इसको लेकर सरकार की तरफ से किसानों को जागरूक किया गया।
सरकार की तरफ से बेहतर बीज की उपलब्धता 2014-15 में 158.19 लाख क्विंटल थी जो 2022-23 में बढ़कर 514.26 लाख क्विंटल हो गया। किसानों की बाजार तक पहुंच बेहतर हो इसके लिए ग्रामीण सड़कों का जाल बिछाने का काम भी सरकार की तरफ से तेजी से किया गया। 2014-15 में जहां 4.19 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें थी वह फरवरी 2023 तक 7.53 लाख किलोमीटर हो गया।
2014 में जहां 318.23 लाख मीट्रिक टन खाद्यानों को कोल्ड स्टोरेज में रखने की क्षमता थी उसे फरवरी 2023 तक बढ़ाकर 394.17 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है। 2007-14 के बीच जहां एमएसपी पर धान की खरीद 2.58 लाख करोड़ रुपए की हुई थी वह 2014-21 के बीच 187 प्रतिशत बढ़कर 7.43 लाख करोड़ हो गई। 2013-14 में की तुलना में धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 2022-23 में 172 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
वहीं, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी 2007-14 में 1.99 लाख करोड़ रुपए जो 2022-23 में 83 प्रतिशत बढ़कर 3.65 लाख करोड़ रुपए हो गई। इसी तरह तिलहन की फसलों पर खरीदी और एमएसपी दोनों में बड़ा इजाफा हुआ है।
रबी की फसलों के लिए जहां 2010-11 में 1120 रुपए प्रति क्विंटल और 2013-14 में 1400 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी तय थी वह नवंबर 2023-24 में बढ़कर 2275 रुपए प्रति क्विंटल हो गया। मसूर की एमएसपी में भी 2013-14 के मुकाबले 2023-24 तक दोगुने से ज्यादा का इजाफा हुआ है। वैसे ही चने और जौ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इस दौरान बड़ा इजाफा किया गया है।
मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी के न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी दोगुने से ज्यादा बढ़ाया गया है। साथ ही मोदी सरकार की नीतियों की वजह से मोटे अनाज की मांग देश के बाहर पूरी दुनिया में अब तेजी से बढ़ी है। एमएफपी और एमएसपी से लाभान्वित परिवारों की संख्या में भी 25 गुना का इजाफा इन 10 सालों में हुआ है।
एमएसपी के तहत वन उत्पाद की संख्या में 8 गुना से अधिक की वृद्धि की गई है। पहले 10 वन उत्पाद पर एमएसपी का लाभ मिलता था जो अब 87 हो गई है।
एमएसपी के तहत वन उत्पाद की संख्या में 8 गुना से अधिक की वृद्धि की गई है। पहले 10 वन उत्पाद पर एमएसपी का लाभ मिलता था जो अब 87 हो गई है।
2014 तक जहां 2 मेगा फूड पार्क देश में थे वह पीएम मोदी के 10 साल के कार्यकाल में बढ़कर 23 हो गए हैं। 2014 तक देश में कोल्ड चेन जो 37 की संख्या में था 2023 तक उसकी संख्या 273 हो गई है।
कृषि के साथ दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन, शहद उत्पादन जैसी कई और गतिविधियों के जरिए नियमित आय के स्त्रोत किसानों के लिए बने इसके लिए भी सरकार की तरफ से व्यवस्था की गई है। ऐसे में सरकार की तरफ से नीली क्रांति के तहत बजट को 10 गुना बढ़ाया गया है। वहीं हॉर्टिकल्चर प्रोडक्शन को भी 26 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाया गया है।
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]]>The post भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत, कतर की जेल से रिहा किए गए 8 पूर्व नौसैनिक स्वदेश लौटे first appeared on Khabar Vahini.
]]>नई दिल्ली : कतर ने कथित जासूसी के आरोप में खाड़ी देश में हिरासत में लिए गए आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को रिहा कर दिया है, जिसका भारत ने स्वागत किया है। नई दिल्ली ने कहा कि आठ में से सात भारतीय नागरिक स्वदेश लौट आए हैं। यह भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत हैं। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने आज सुबह जारी एक बयान में इस घटनाक्रम का स्वागत किया और कहा कि एक निजी कंपनी अल दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों में से सात कतर से भारत लौट आए।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार दाहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है, जिन्हें कतर में हिरासत में लिया गया था। उनमें से आठ में से सात भारत लौट आए हैं। हम कतर राज्य के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं ताकि उन्हें सक्षम बनाया जा सके। पिछले साल दिसंबर में, कतर की एक कोर्ट ने अल दहरा ग्लोबल मामले में गिरफ्तार किए गए आठ भारतीय नौसैनिकों की मौत की सजा को उलट दिया था। मौत की सज़ा को घटाकर जेल की सज़ा में बदल दिया गया था। यह घटनाक्रम तब हुआ जब कतर की कोर्ट ने पूर्व नौसैनिकों को दी गई मौत की सजा के खिलाफ भारत सरकार द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया।
अल दहरा के साथ काम करने वाले भारतीय नागरिकों को जासूसी के एक कथित मामले में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए न तो कतरी अधिकारियों और न ही नई दिल्ली ने भारतीय नागरिकों के खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक किया। 26 अक्टूबर, 2023 को कतर की प्रथम दृष्टया कोर्ट ने नौसैनिकों के दिग्गजों को मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने फैसले को गहरा चौंकाने वाला बताया और मामले में सभी कानूनी विकल्प तलाशने की कसम खाई। कतरी अदालत के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में, विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह मामले को उच्च महत्व दे रहा है और सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है। 25 मार्च, 2023 को भारतीय नागरिकों के खिलाफ आरोप दायर किए गए और उन पर कतरी कानून के तहत मुकदमा चलाया गया।
कतर में हिरासत में लिए गए आठ भारतीय नौसेना अधिकारी हैं- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश।
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]]>The post बड़ी खबर : हरियाणा के कई जिलों मे होगा नेट बंद first appeared on Khabar Vahini.
]]>चंडीगढ़ : किसान संगठनों के बंद को देखते हुए हरियाणा सरकार ने राज्य के कुछ जिलों में इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का निर्णय लिया है. कल रविवार सुबह 06:00 बजे से 13 तारीख रात 12 बजे तक अंबाला, हिसार, जीन्द, कुरुक्षेत्र, कैथल, सिरसा व फतेहबाद में नेट बंद रहेगा
सरकार ने किये आदेश जारी
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]]>The post इसलिए भारत के रत्न हैं लालकृष्ण आडवाणी first appeared on Khabar Vahini.
]]>भारत के पूर्व उप-प्रधानमंत्री और भाजपा के दीर्घानुभवी नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत-रत्न पुरस्कार देने की घोषणा का निहितार्थ क्या है? यह सम्मान आडवाणीजी के व्यक्तित्व, क्षमता और गुणों को मान्यता प्रदान करना तो है ही, साथ ही यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में आडवाणीजी के दो मुख्य योगदानों के कारण भी तर्कसंगत हो जाता है। पहला- आडवाणीजी द्वारा राजनीतिक शुचिता में नया मापदंड स्थापित करना, तो दूसरा- सार्वजनिक विमर्श में छद्म-सेकुलरवाद और इस्लामी कट्टरवाद के राजकीय तुष्टिकरण को तथ्यों-तर्कों के साथ चुनौती देना है।
वर्तमान विरोधी दल स्वयं को ‘सेकुलर’ और शत-प्रतिशत गांधीवाद से प्रेरित होने का झंडा बुलंद करते है। परंतु वे भूल जाते है कि सार्वजनिक जीवन में गांधीजी ने शुचिता (परिवारवाद का विरोध सहित) का सदैव पालन किया था। इसके कई उदाहरण है, जिन्हें शब्दसीमा की बाध्यता के कारण एक आलेख में समाहित करना असंभव है। स्वतंत्र भारत में जिन विरल राजनीतिज्ञों ने इस मर्यादा का अनुसरण किया, वे वैचारिक रूप से गांधी दर्शन के सबसे निकट रहे। उन्हीं में से एक— लालकृष्ण आडवाणीजी भी हैं। जब 1990 के दशक में विपक्ष में रहते हुए जैन हवाला कांड में उनका नाम जुड़ा, तब उन्होंने अपनी राजनीतिक विश्वसनीयता को अक्षुण्ण रखने हेतु वर्ष 1996 में लोकसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया और निर्दोष सिद्ध होने तक संसद न जाने का प्रण लिया। जब दिल्ली उच्च न्यायालय (1997) और सर्वोच्च अदालत (1998) ने आडवाणी को बेदाग घोषित किया, तब उन्होंने 1998 में चुनावी राजनीति में वापसी की।
इसी प्रकार की राजनीतिक शुचिता संबंधित परंपरा का निर्वाहन वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किया हैं। जब 2002 के गुजरात दंगा मामले में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी से पूछताछ हेतु सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांचदल (एसआईटी) ने 2010 में बुलाया, तब वे बिना कार्यकर्ताओं की भीड़ के गांधीनगर स्थित एसआईटी कार्यालय पहुंचे और दो सत्रों में नौ घंटे की पूछताछ में देर रात 1 बजे तक हिस्सा लिया। इसकी तुलना में वर्तमान स्थिति क्या है? यह वित्तीय-कदाचार के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा बार-बार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समन की अवहेलना करने, उनके द्वारा जेल से सरकार चलाने का दावा करने, जमीन घोटाला प्रकरण में (बतौर झारखंड मुख्यमंत्री) हेमंत सोरेन के ‘लापता’ होने, नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं राहुल गांधी-सोनिया गांधी से ईडी पूछताछ के समय कांग्रेस नेताओं-कार्यकर्ताओं द्वारा राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करने, तृणमूल-द्रमुक रूपी विरोधी दल द्वारा शासित कई राज्यों में केंद्रीय जांच एजेंसियों के आने पर रोक लगाने हेतु फरमान जारी करने और चारा घोटाले में अदालत द्वारा दोषी लालू प्रसाद यादव के साथ स्वयंभू सेकुलरवादियों द्वारा मंच साझा करने से स्पष्ट है। इस पृष्ठभूमि में आडवाणीजी और उपरोक्त विरोधी दलों— विशेषकर मोदी-विरोधियों के व्यवहार में अंतर स्पष्ट है।
वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना पश्चात आडवाणीजी ने जिस तत्कालीन प्रचलित सेकुलरवाद को तथ्यों और तर्कों से सीधी चुनौती दी, जो इस्लामी कट्टरवाद और उसकी तुष्टिकरण का पर्याय बन चुका था, वह वास्तव में नेहरूवादी दृष्टिकोण का तार्किक परिणाम था। जब 1985 में सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यप्रदेश की शाहबानो को तलाक के बाद उसके पति से गुजाराभत्ता दिलाने का ऐतिहासिक निर्णय सुनाया, तब मुस्लिम समाज का कट्टरपंथी वर्ग बौखला उठा। ‘इस्लाम खतरे में है’ और ‘शरीयत बचाओ’ नारों के साथ देश के कई हिस्सों में हजारों मुसलमानों ने हिंसक प्रदर्शन किया। अदालत का फैसला प्रगतिशील और मुस्लिम महिलाओं को मध्यकालीन दौर से बाहर निकालने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था। परंतु तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने इस्लामी कट्टरपंथियों के समक्ष आत्मसमर्पण करके और संसद में प्रचंड बहुमत के बल पर शाहबानो मामले में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय ही पलट दिया। वास्तव में, इस प्रकरण ने अपनी जड़ों से पहले कटे और वामपंथी इतिहासकारों द्वारा भ्रमित भारतीय मुस्लिम समाज के एक वर्ग में यह संकीर्ण मानस स्थापित कर दिया कि वे हिंसा के बल पर भारतीय व्यवस्था को घुटनों पर ला सकते है। कालांतर में, ऐसा हुआ भी। वर्ष 1988 में अंतरराष्ट्रीय लेखक सलमान रुश्दी के उपन्यास ‘सेटेनिक वर्सेस’ को राजीव गांधी सरकार ने भारतीय मुस्लिम समाज की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए प्रतिबंधित कर दिया। यही हश्र कालांतर में, तसलीमा नसरीन की ‘लज्जा पुस्तक’ के साथ भी हुआ। कालांतर में, कांग्रेस नीत संप्रग सरकार द्वारा ‘हिंदू/भगवा आतंकवाद’ का फर्जी-झूठा सिद्धांत गढ़ना, 2005 से बार-बार हिंदू विरोधी ‘सांप्रदायिक विधेयक’ को संसद से पारित कराने का प्रयास, असंवैधानिक ‘मुस्लिम-आरक्षण’ की पैरवी और 2007 में शीर्ष अदालत में हलफनामा देकर श्रीराम को काल्पनिक बताना आदि उसी छद्म-सेकुलरवाद का असफल उपक्रम था।
वास्तव में, 1980 के दशक का श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन और सितंबर-अक्टूबर 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा— भारत में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का विस्तार था। स्वतंत्रता के तुरंत बाद इस मामले में किस प्रकार सामाजिक, प्रशासनिक और राजनीतिक रूप से प्रतिबद्धता थी, उसका उल्लेख इसी कॉलम में बीते 21 जनवरी 2024 को प्रकाशित मेरे लेख ‘क्यों करनी पड़ी इतनी लंबी प्रतीक्षा’ में विस्तार से है। श्रीरामजन्मभूमि पर यह सहमति कुछ अपवादों को छोड़कर 1984 तक थी। तब कांग्रेस के गांधीवादी नेता और देश के दो बार अंतरिम प्रधानमंत्री रहे गुलजारीलाल नंदा के साथ उत्तरप्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेता और पूर्व मंत्री दाऊदयाल खन्ना भी रामजन्मभूमि की मुक्ति हेतु संघर्ष का समर्थन कर रहे थे। चूंकि उनकी शक्ति सीमित थी, तब उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मोरपंत पिंघले और अशोक सिंघल का साथ मिला, जिन्होंने रामजन्मभूमि आंदोलन को अतुलनीय गति प्रदान की। इस सांस्कृतिक युद्ध में जनमानस को जोड़ने में आडवाणीजी की अध्यक्षता में 9-11 जून 1989 को पारित भाजपा के पालमपुर घोषणापत्र और उनके नेतृत्व में सितंबर-अक्टूबर 1990 निकाली गई रथयात्रा ने अग्रणी भूमिका निभाई।
वर्ष 1987 में एक हिंदी पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार में आडवाणीजी ने कहा था, “भारतीय मुसलमानों के किसी भी वर्ग के लिए स्वयं को बाबर के साथ जोड़ना, वैसा ही है जैसे ईसाई समाज दिल्ली में गांधीजी की मूर्ति के स्थान पर जॉर्ज पंचम की मूर्ति लगाने हेतु इसलिए झगड़ा कर रहे हो, क्योंकि जॉर्ज पंचम ईसाई थे। गांधीजी हिंदू थे, परंतु वे इस देश के हैं और जॉर्ज पंचम नहीं। इसी तरह श्रीराम इस देश के हैं… इतिहास और सांस्कृतिक मुद्दे पर मैं मुस्लिम नेतृत्व से विनती करूंगा कि यदि इंडोनेशिया के मुसलमान राम और रामायण पर गर्व कर सकते हैं, तो भारतीय मुसलमान क्यों नहीं?” तब आडवाणीजी ने हिंदू-मुस्लिम समस्या की नब्ज़ पर सीधा हाथ रखा था। सच तो यह है कि भारतीय मुस्लिम समाज का एक वर्ग आज भी गौरी, गजनवी, बाबर, खिलजी, अब्दाली, औरंगजेब, टीपू सुल्तान रूपी इस्लामी आक्रांताओं को अपना नायक मानता है, जिन्होंने इस भूखंड की सांस्कृतिक अस्मिता को रौंदकर इस्लाम का वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास किया था।
आडवाणीजी ने सदैव राष्ट्र प्रथम प्राथमिकता दी। जब वे रामजन्मभूमि पर अपनी रथयात्रा को लेकर राजनीति के शिखर पर थे, तब उन्होंने 1995 में मुंबई के भाजपा महाधिवेशन में बतौर पार्टी अध्यक्ष, अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री पद का पार्टी उम्मीदवार बनाने की घोषणा की। इसपर आडवाणीजी अपनी जीवनी में लिखते हैं, “जो मैंने किया वह कोई बलिदान नहीं। वह उस तर्कसंगत मूल्यांकन का परिणाम है कि क्या सही है और क्या पार्टी तथा राष्ट्र के सर्वोत्तम हित में है।“ यही विशेषताएं आडवाणीजी को ‘भारत-रत्न’ बनाती हैं।
श्री बलबीर पुंज, लेखक वरिष्ठ स्तंभकार, पूर्व राज्यसभा सांसद और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय-उपाध्यक्ष हैं। हाल ही में उनकी ‘ट्रिस्ट विद अयोध्या: डिकोलोनाइजेशन ऑफ इंडिया’ (Tryst With Ayodhya: Decolonisation Of India) पुस्तक प्रकाशित हुई है
संपर्क:- punjbalbir@gmail.com
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]]>नई दिल्ली : फ्रांस में पेमेंट करना और भी आसान हो गया और यूपीआई (UPI) एक्टिव हो गया है। NPCI इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (NIPL) ने फ्रांस की लायरा के साथ हाथ मिलकर फ्रांस में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) लॉन्च किया है। इसकी शुरुआत फ्रांस के एइफिल टावर से हुई है जहां भारतीय पर्यटक अपने यूपीआई से जुड़े ऐप के जरिए टिकट बुक कर सकेंगे।
फ्रांस में यूपीआई पेमेंट्स शुरू होने से भारतीय पर्यटकों को सबसे बड़ा फायदा ये मिलेगा कि वे रुपये में पेमेंट कर सकेंगे। क्रेडिट और डेबिट कार्ड से इंटरनेशनल पेमेंट्स पर 0.99 से 3.5 फीसदी का मार्कअप चार्जेज लगता है और एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूपीआई से पेमेंट करने पर इन चार्जेज से मुक्ति मिल सकती है। मार्कअप फीस वे चार्जेज हैं, जिसे बैंक और क्रेडिट कार्ड कंपनियां फॉरेन करेंसी में लेन-देन पर वसूलती हैं। भारत की बात करें तो यूपीआई का दायरा तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसके 38 करोड़ से अधिक यूजर्स हैं। पिछले महीने जनवरी 2024 में ही इसके जरिए 1220 करोड़ से अधिक ट्रांजैक्शंस हुए।
इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस को बधाई दी। उन्होंने इस कदम को डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करने और संबंधों को मजबूत करने का एक अद्भुत उदाहरण बताया। प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया, यह देखकर बहुत अच्छा लगा, यह यूपीआई को वैश्विक स्तर पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करने और भारत-फ्रांस के मजबूत संबंधों को बढ़ावा देने का एक अद्भुत उदाहरण है।
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]]>मूर्तिकार ने जब यह मूर्ति बनाई तब उसका स्वरूप उसे इस प्रकार का बिल्कुल नहीं लगा जैसे उसमें कोई ऊर्जा समाहित हो परंतु प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम का स्वरूप और निखार एकदम से अलग हो गया हमारे वेद मन्त्रों से निकलने वाली ऊर्जा बहुत ही सकारात्मक होती है जो की पत्थर में भी प्राण फूंक दे। यही सनातन धर्म की शक्ति है वह खुद इतना सकारात्मक है कि सभी को स्वीकार करते हुए स्वयं का अस्तित्व बनाए रखता हैं। परंतु आज प्रश्न यह उठता है कि हम जिस सनातन धर्म को मानते हैं उनके मंदिर प्रांगण में जहां हम प्रभु रूपी अपने ईष्ट को नमन करते हैं उन्हें पूजन करते हैं क्या वहां से हम उस ऊर्जा को अपने साथ बनाए रखते हैं।
लोग आज भी नशा करते हैं बड़ी मात्रा में पाप करते हैं फिर भी मंदिर जाते हैं परंतु क्या यह उचित है हम ऐसे द्वेष और बुराइयों के साथ मंदिर जाना आना जारी रखें ??? यदि हम मंदिर जाते हैं तो हमें भी वहां से सद्भाव लेकर आना चाहिए नशा जैसी बुराइयों को दूर करना चाहिए। यदि हम अनैतिक हैं और मंदिर जाकर भी हमारे अंदर बदलाव नहीं ला पा रहे तो हमारा मंदिर जाना व्यर्थ है । फिर तो मंदिर जाना हमारे लिए सिर्फ भीड़ बढ़ने के बराबर है ।यह एक ऐसा उद्देश्य हैं जिसमें हम मंदिर प्रांगण को भी पर्यटन स्थल की तरह वहां पर भीड़ बढ़ता देखकर आना पसंद करते हैं ।परंतु मंदिरों का सही उद्देश्य आपके अंदर उचित बदलाव और नैतिकता होना चाहिए।समस्त प्रकार की बुराइयों और द्वेष को दूर कर अच्छी सद्भावनाओं को अच्छी ऊर्जा का अपने अंदर वहन करना ही हमारे मंदिर स्थल पर जाने का कारण होना चाहिए।
भगवान की तो हम घर में भी पूजा करते हैं परंतु मंदिर में लगातार पूजा पाठ के चलते एक सकारात्मक ऊर्जा की स्थापना हो जाती है और इस सकारात्मक ऊर्जा को हम अपने अंदर ग्रहण कर अपने जीवन में भी सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। कहने का अर्थ है यदि हम मंदिर जाकर भी अपने अंदर कोई बदलाव नहीं ला पा रहे लगातार पाप कर्म कर रहे हैं नशे की लत को अपना रहे हैं तो कहीं ना कहीं हम अनुशासन का उल्लंघन कर रहे हैं जिसकी इजाजत हमारा सनातन धर्म भी नहीं देता। हमें अपने इष्ट को प्राप्त करने और मंदिर प्रांगण में जाने के लिए खुद को भी बदलना होगा यदि हम सनातन धर्म को मानते हैं तो हमें हर प्रकार के नशे से दूर रहने की कोशिश करना चाहिए हमें नैतिक होना चाहिए।
आशी प्रतिभा (स्वतंत्र लेखिका)
मध्य प्रदेश, ग्वालियर, भारत
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]]>The post वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा ऐलान, ‘रुफटॉप सोलर योजना’ के तहत हर महीने मिलेगी 300 यूनिट मुफ्त बिजली first appeared on Khabar Vahini.
]]>खबर वाहिनी न्यूज
नई दिल्ली न्यूज ब्यूरो : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के आखिरी बजट में सोलर स्कीम की भी शुरुआत की है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि ‘रूफटॉप सोलर’ परियोजना के तहत एक करोड़ परिवार को हर महीने 300 यूनिट बिजली मुफ्त मिलेगी। सोलर रूफटॉप स्कीम से घरों को 15000-18000 रुपये की बचत की उम्मीद है।
इससे पहले 22 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी ने 1 करोड़ घरों पर रूफटॉप सौर ऊर्जा स्थापित करने के लक्ष्य के साथ “प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना” शुरू करने के लिए एक बैठक की थी। प्रधानमंत्री ने बैठक के दौरान कहा था कि सोलर एनर्जी का उपयोग छत वाले प्रत्येक घर द्वारा अपने बिजली के बिल को कम करने और उन्हें अपनी बिजली की जरूरतों के लिए वास्तव में आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना का लक्ष्य निम्न और मध्यम आय वाले व्यक्तियों को रूफटॉप सौर ऊर्जा की स्थापना के माध्यम से बिजली उपलब्ध करना है, साथ ही अतिरिक्त बिजली उत्पादन के लिए अतिरिक्त आय का अवसर उपलब्ध करना है। प्रधानमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि आवासीय क्षेत्र के उपभोक्ताओं को बड़ी संख्या में रूफटॉप सौर ऊर्जा अपनाने को लेकर प्रेरित करने के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय अभियान शुरू किया जाना चाहिए।
निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करते हुए कहा कि सरकार का दृष्टिकोण सबका साथ, सबका विश्वास है और इसके अनुरुप सरकार काम कर रही है। सीतारमण का वित्त मंत्री के रूप में यह छठा बजट है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का भी यह अंतिम बजट है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सामाजिक कल्याण के लिए सरकार ने सर्वांगीण, सर्व स्पर्शी और सर्व समावेशी नीति और कार्यक्रम लागू किये तथा भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद को खत्म किया है। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण से सरकार को दो लाख करोड़ रुपए की बचत हुई है, जिससे कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन सुलभ हुआ है।
वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार में 1 करोड़ महिलाएं लखपति बनीं है। उन्होंने कहा कि हमने लखपति दीदी योजना चलाकर लोगों को फायदा पहुंचाया है। इसके अलावा चार करोड़ से अधिक किसानों को फसल बीमा योजना का फायदा मिला है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार 3 करोड़ मकानों के लक्ष्य के करीब है और अगले 5 सालों में दो करोड़ अतिरिक्त मकानों का निर्माण कार्य शुरू कर रहे हैं।
उन्होंने बजट पेश करते हुए कहा कि सरकार का दृष्टिकोण सबका साथ, सबका वश्विास है और इसके अनुरूप सरकार काम कर रही है। सीतारमण का वित्त मंत्री के रूप में यह छठा बजट है। वित्त मंत्री ने कहा कि सामाजिक कल्याण के लिए सरकार ने सर्वांगीण, सर्वस्पर्शी और सर्व समावेशी नीति और कार्यक्रम लागू किए। उन्होंने कहा कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम के तहत जनधन खातों के जरिये 34 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए। इससे 2.7 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई, जिससे कल्याणकारी योजनाओं के लिए पैसे की व्यवस्था हो पाई। वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड महामारी के बावजूद पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत तीन करोड़ घर मुहैया कराए गए, दो करोड़ नए घर भी परिवारों को दिए जाएंगे।
मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के अंतिम बजट में आयुष्मान योजना का दायरा बढ़ाने का ऐलान किया है। लोकसभा में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आयुष्मान योजना में अब आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं और ASHA कार्यकर्ताओं को भी जोड़ा जाएगा। उन्हें भी मुफ्त इलाज की इस सुविधा का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि देश के मेडिकल कॉलेजों में भी सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। बता दें कि आयुष्मान योजना के तहत परिवार को प्रतिवर्ष 5 लाख तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाती है।
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]]>नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड द्वारा दी जा रही सेवाओं जैसे पीटीएम वॉलेट, फास्टैग, नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड, पेटीएम यूपीआई, आईएमपीएस और धनराशि हस्तातंरण आदि सेवाओं पर 29 फरवरी से प्रतिबंधित कर दिया है।
केन्द्रीय बैंक ने आज जारी बयान में कहा कि एक मार्च, 2022 को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के तहत पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (पीपीबीएल या बैंक) को नए ग्राहकों को शामिल करने से रोकने का निर्देश दिया गया था। व्यापक सिस्टम ऑडिट रिपोर्ट और बाहरी ऑडिटरों की बाद की अनुपालन सत्यापन रिपोर्ट ने बैंक में लगातार गैर-अनुपालन और निरंतर सामग्री पर्यवेक्षी चिंताओं का खुलासा किया, जिसके मद्देनजर यह कार्रवाई की गयी है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के तहत और उस संबंध में इसे सक्षम करने वाली अन्य सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए आज पीपीबीएल को इसके ग्राहकों द्वारा बचत बैंक खाते, चालू खाते, प्रीपेड उपकरण, फास्टैग, नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड आदि सहित अपने खातों से शेष राशि की निकासी या उपयोग की अनुमति उनके उपलब्ध शेष राशि तक जारी रखने के लिए कहा गया है। इसके बाद बैंक को 29 फरवरी, 2024 के बाद इन सेवाओं के अलावा कोई अन्य बैंकिंग सेवाएं, जैसे फंड ट्रांसफर (एईपीएस, आईएमपीएस इत्यादि जैसी सेवाओं), बीबीपीओयू और यूपीआई सुविधा प्रदान नहीं करने के निर्देश दिये गये हैं। वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड और पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज लिमिटेड के नोडल खातों को जल्द से जल्द, किसी भी स्थिति में 29 फरवरी, 2024 से पहले समाप्त किया जायेगा। भविष्य के सभी लेनदेन और नोडल खातों का निपटान (29 फरवरी, 2024 को या उससे पहले शुरू किए गए सभी लेनदेन के संबंध में) 15 मार्च, 2024 तक पूरा किया जाएगा और उसके बाद किसी और लेनदेन की अनुमति नहीं दी जाएगी।
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]]>The post जींद पहुंची केंद्रीय जांच एजेंसी व दिल्ली पुलिस, नीलम आजाद के घर की ली तलाशी first appeared on Khabar Vahini.
]]>जींद : संसद की सुरक्षा में चूक मामले को लेकर दिल्ली पुलिस के साथ-साथ सीबीआई की टीम हरियाणा पहुंची है, जहां देर रात जींद स्थित नीलम आजाद के घर पर सीबीआई की टीम ने पूरे घर की तलाशी ली है।
बता दें कि बीते दिनों संसद की सुरक्षा भेदने के मामले में जींद निवासी नीलम आजाद का भी नाम शामिल है। वह संसद के सामने प्रदर्शन कर रही थी। इस दौरान व पीले रंग के स्प्रे का भी प्रयोग कर रही थी। इसी प्रकार के स्प्रे का प्रयोग लोकसभा के हॉल में भी किया गया था।
गौरतलब है कि नीलम इस समय हरियाणा सिविल सविर्सेज की तैयारी के लिए हिसार के पीजी में रह रही थी। गत 25 नवंबर को घर से पीजी के लिए निकली थी। नीलम के पिता कोहर सिंह उचाना मंडी में हलवाई का काम करते हैं। नीलम के परिवार में तीन बहनें, दो भाई व माता-पिता हैं। उनके चाचा गांव में करियाणा की दुकान चलाते हैं। पिछले दिनों नीलम गांव में लाइब्रेरी चला रही थी और बच्चों को पढ़ाती थी, लेकिन गांव के कुछ लोगों ने इसपर एतराज जताया था। जिसके बाद नीलम ने बच्चों को पढ़ाना बंद कर दिया था। नीलम किसान आंदोलन से लेकर दूसरे धरने और प्रदर्शनों में भी काफी एक्टिव रहती है।
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