धर्म - Khabar Vahini https://khabarvahini.com Latest News | Breaking News Sun, 26 Jan 2025 15:07:34 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 https://khabarvahini.com/wp-content/uploads/2023/06/cropped-275268509_369409508524254_2578076929151236714_n-32x32.jpg धर्म - Khabar Vahini https://khabarvahini.com 32 32 सर्व समाज के कल्याण के लिए सर्व ब्राह्मण समाज की बैठक आयोजित, समाज कल्याण के लिए हुई मन्त्रना https://khabarvahini.com/archives/4632 https://khabarvahini.com/archives/4632#respond Sun, 26 Jan 2025 15:05:24 +0000 https://khabarvahini.com/?p=4632 खबर वाहिनी न्यूज ब्यूरो (इन्द्रगढ़} 26 जनवरी : सर्व ब्राह्मण समाज समिति इंदरगढ़ की मासिक बैठक आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता पंडित अखिलेश मुदगल सर्व ब्राह्मण समाज समिति अध्यक्ष द्वारा की गई । सबसे पहले भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण करके दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया । इसके बाद पंडित रामराजा […]

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खबर वाहिनी न्यूज ब्यूरो (इन्द्रगढ़}

26 जनवरी : सर्व ब्राह्मण समाज समिति इंदरगढ़ की मासिक बैठक आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता पंडित अखिलेश मुदगल सर्व ब्राह्मण समाज समिति अध्यक्ष द्वारा की गई । सबसे पहले भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण करके दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया ।

इसके बाद पंडित रामराजा तिवारी रिटायर्ड टी आई का सम्मान किया गया एवं नवल किशोर पाठक, अंकित पाठक को समिति का उपाध्यक्ष मनाया गया ।उनका अखिलेश मुदगल ने नियुक्ति पत्र देकर फूल माला पहनाकर स्वागत किया गया । बैठक में समाज के सभी लोगों के घर तक पहुंच कर उनका रजिस्ट्रेशन करने पर चर्चा हुई । तथा समाज के गरीब वर्ग के बच्चों का किस तरह विकास हो इस पर भी चर्चा की गई एवं समाज में कोई होनहार बच्चा है उसकी प्रतिभा को निखार कर उसके उज्जवल भविष्य की व्यवस्था करने पर भी चर्चा हुई ।

बैठक में सैकड़ो ब्राह्मण समाज के लोग उपस्थित रहे उनमें सर्वश्री पंडित विजय दांतरे,पंडित कालीचरण दुबे, पंडित राजाराम पचौरी, पंडित भगवानदास मुदगल, पंडित हरिमोहन पाराशर, पंडित रामज्ञान शर्मा, पंडित राधाचरण चौबे, पंडित ब्रजकिशोर पचौरी, पंडित विनोद मिश्रा, पंडित केशव गोस्वामी, पंडित विनोद उपाध्याय, पंडित श्रीराम शर्मा, पंडित सुदामा मुदगल, पंडित मुन्ना तिवारी, पंडित परशुराम कौंतू,  पंडित हरिमोहन दुबे, पंडित अशोक पचौरी, पंडित परशुराम बोहरे, पंडित बल्ली मुदगल, पंडित विकास बालाजी, पंडित श्रीराम बुधौलिया, पंडित प्रदीप मिश्रा, पंडित सुनील उपाध्याय, पंडित सुमित उपाध्याय पार्षद, पंडित राहुल शुक्ला, पंडित शिवम उपाध्याय, पंडित राकेश दुबे, पंडित अरविंद तिवारी पंडित नोवेड्य उपाध्याय, पंडित पंकज बुधौलिया, पंडित सोनू उपाध्याय, पंडित रामलखन शर्मा, पंडित शशि हरदेनियां, पंडित सुंदरम मुदगल आदि ।

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PM मोदी ने अबू धाबी में किया सबसे बड़े हिन्दू मंदिर का उद्घाटन, जानें खास बातें https://khabarvahini.com/archives/4474 https://khabarvahini.com/archives/4474#respond Wed, 14 Feb 2024 17:04:18 +0000 https://khabarvahini.com/?p=4474 खबर वाहिनी न्यूज आबू दाभी : अबू धाबी स्थित पहले हिंदू मंदिर का बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया। मंदिर में संतों के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने पूजा-अर्चना की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘दिव्यता के नैन’ प्रतिकृति का दर्शन किया। प्रधानमंत्री ने साल 2018 में मंदिर का शिलान्यास किया था। मंदिर की संरचना […]

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खबर वाहिनी न्यूज

आबू दाभी : अबू धाबी स्थित पहले हिंदू मंदिर का बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया। मंदिर में संतों के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने पूजा-अर्चना की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘दिव्यता के नैन’ प्रतिकृति का दर्शन किया। प्रधानमंत्री ने साल 2018 में मंदिर का शिलान्यास किया था। मंदिर की संरचना में गंगा, यमुना और सरस्वती की धारा को बहते हुए दिखाया गया है। इसमें पानी की बूंदें नीचे गिरने के साथ-साथ ऊपर भी जाती दिखती हैं। इस अवसर पर पीएम मोदी ने गंगा-यमुना की धारा में जलांजलि अर्पित की। BAPS द्वारा निर्मित यह हिंदू मंदिर बेहद भव्य और विराट है। अबू मुरीखा क्षेत्र में स्थित यह हिंदू मंदिर 700 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बना है।

दुबई-अबू धाबी शेख जायद हाईवे पर अल रहबा के पास अबू मुरीखाह में स्थित BAPS (Bochasanwasi Akshar Purushottam Swaminarayan Sanstha) हिंदू मंदिर का निर्माण कार्य 2019 से जारी है। मंदिर के लिए जमीन UAE सरकार ने दान दी थी। ये जमीन खुद UAE के राष्ट्रपति ने मुहैया करवाई है। मंदिर के अग्रभाग पर बलुआ पत्थर पर उत्कृष्ट संगमरमर की नक्काशी है, जिसे राजस्थान और गुजरात के कुशल कारीगरों द्वारा 25,000 से अधिक पत्थर के टुकड़ों से तैयार किया गया है। मंदिर के लिए उत्तरी राजस्थान से अच्छी-खासी संख्या में गुलाबी बलुआ पत्थर अबू धाबी लाया गया है।

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जयंती देवी मंदिर (सिद्धपीठ) जींद द्वारा 9 फरवरी से लेकर 23 फरवरी तक जयंती देवी मंदिर में श्री जयंती महायज्ञ एवं कन्या पूजन उत्सव का किया जाएगा आयोजन https://khabarvahini.com/archives/4393 https://khabarvahini.com/archives/4393#respond Wed, 07 Feb 2024 08:09:11 +0000 https://khabarvahini.com/?p=4393 खबर वाहिनी न्यूज (नरेन्द्र शर्मा) जींद, 7 फरवरी श्री जयंती देवी मंदिर (सिद्धपीठ) जींद द्वारा 9 फरवरी से लेकर 23 फरवरी तक जयंती देवी मंदिर में श्री जयंती महायज्ञ एवं कन्या पूजन उत्सव 2024 का आयोजन किया जाएगा। मंदिर के पुजारी नवीन कुमार शास्त्री ने आज यहां पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि यह […]

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खबर वाहिनी न्यूज (नरेन्द्र शर्मा)

जींद, 7 फरवरी श्री जयंती देवी मंदिर (सिद्धपीठ) जींद द्वारा 9 फरवरी से लेकर 23 फरवरी तक जयंती देवी मंदिर में श्री जयंती महायज्ञ एवं कन्या पूजन उत्सव 2024 का आयोजन किया जाएगा। मंदिर के पुजारी नवीन कुमार शास्त्री ने आज यहां पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि यह आयोजन हर साल माता जयंती देवी के प्राकट्य दिवस पर किया जाता है। इस साल इसे और अधिक भव्य रूप दिया गया है।
नवीन कुमार शास्त्री ने बताया कि 9 फरवरी को दोपहर 3:00 बजे पालकी एवं कलश यात्रा का आयोजन किया जाएगा। यह यात्रा रानी तालाब से शुरू होकर शहर के बीच से मां जयंती देवी के द्वार पर आएगी। 10 फरवरी से लेकर 23 फरवरी तक श्री जयंती महायज्ञ का आयोजन होगा 23 फरवरी को प्रातः 8:30 बजे पूर्णाहुति होगी और इसी दिन इसके बाद 11000 कन्याओं का पूजन किया जाएगा और विशाल भंडारा आयोजित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस महायज्ञ के दौरान प्रतिदिन सवा लाख नवार्ण मंत्र का जाप किया जाएगा और प्रतिदिन शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान विभिन्न संतों का प्रवचन भी होगा। उन्होंने बताया कि पालकी और कलश यात्रा को निरंजनी अखाड़ा हरिद्वार से आने वाली साध्वी शक्ति पुरी जी का आशीर्वचन हासिल होगा। उन्होंने बताया कि इस महायज्ञ के दौरान गोमटी वाले माताजी, जागृति देवी जी, स्वामी श्री शक्ति देव जी महाराज, स्वामी डॉक्टर अमृता दीदी जी, स्वामी राघवेंद्र भारती जी, स्वामी राघवानंद जी महाराज, महंत लोकेश दास जी महाराज, स्वामी दर्शन गिरी जी महाराज, श्री अवधूत संत अमर दास जी महाराज, श्री सूर्यनाथ जी महाराज, श्री विक्रम गिरी जी महाराज, श्री सच्चिदानंद जी महाराज, श्री विज्ञानंद जी महाराज,  ब्रह्मचारी जसवीर स्वरूप जी महाराज का पावन सानिध्य और उनका आशीर्वचन हासिल होगा।
कार्यक्रम में मुख्य यजमान के रूप में मुख्यमंत्री हरियाणा के मीडिया कोऑर्डिनेटर अशोक छाबड़ा, जींद नगर परिषद के ईओ राजेंद्र सोनी, विकास जैन, विनोद सिंगला, संजय गोयल, फूल कुमार, राजेश गर्ग, विनोद गुप्ता, इंद्रजीत लूथरा, संतराम शर्मा, अशोक शर्मा, प्रवीण वर्मा, रोहित गोयल, भूपेंद्र सिंह मुख्य रूप से शामिल होंगे।

इस कार्यक्रम में डीजीपी एवं हरियाणा पुलिस के एमडी आरसी मिश्रा, जींद के उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा, अतिरिक्त उपायुक्त हरीश कुमार वशिष्ठ, भिवानी के नगराधीश अमित गौतम, जींद की नगराधीश नमिता कुमारी, जिला नगर आयुक्त सुरेंद्र सिंह, सीआरएसयू के कुलपति डॉक्टर रणपाल सिंह, अंतरराष्ट्रीय पहलवान बबीता फोगाट के साथ साथ श्रीमती कृष्णा देवी खत्री, डॉक्टर मीना शर्मा, विकास कौशिक, विकास जैन, विभोर शर्मा, रामकुमार मित्तल, अतुल मंगला, सौरभ वर्मा, एडवोकेट कुणाल जिंदिया, राजेंद्र सैनी और संकेत मलिक अतिथि के रूप में भाग लेंगे।

उल्लेखनीय है कि श्री जयंती देवी मंदिर सिद्ध पीठ है और इसका वर्णन प्राचीन ग्रंथो में भी वर्णित है। मंदिर के पुजारी नवीन कुमार शास्त्री ने कहा कि श्री जयंती महायज्ञ एवं कन्या पूजन उत्सव 2024 का मुख्य उद्देश्य समाज में समरसता, सौहार्द्रता, आपसी भाईचारा, प्रेम स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि आज समाज में विभिन्न प्रकार की कुरीतियां पैदा हो रही है जिन्हें धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से काम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कन्या पूजन का असली महत्व यह है कि हम समाज को कन्या का महत्व बता पाएं। कन्या भ्रूण हत्या को रोकना और बेटी को बचाना इसका असली मकसद है। उन्होंने कहा कि अगर बेटी बचेगी तभी सृष्टि बचेगी। बेटी के बिना सृष्टि का कोई अर्थ ही नहीं है। उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

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इसलिए भारत के रत्न हैं लालकृष्ण आडवाणी https://khabarvahini.com/archives/4372 https://khabarvahini.com/archives/4372#respond Tue, 06 Feb 2024 03:45:52 +0000 https://khabarvahini.com/?p=4372 बलबीर पुंज भारत के पूर्व उप-प्रधानमंत्री और भाजपा के दीर्घानुभवी नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत-रत्न पुरस्कार देने की घोषणा का निहितार्थ क्या है? यह सम्मान आडवाणीजी के व्यक्तित्व, क्षमता और गुणों को मान्यता प्रदान करना तो है ही, साथ ही यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में आडवाणीजी के दो मुख्य योगदानों के कारण भी तर्कसंगत […]

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बलबीर पुंज

भारत के पूर्व उप-प्रधानमंत्री और भाजपा के दीर्घानुभवी नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत-रत्न पुरस्कार देने की घोषणा का निहितार्थ क्या है? यह सम्मान आडवाणीजी के व्यक्तित्व, क्षमता और गुणों को मान्यता प्रदान करना तो है ही, साथ ही यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में आडवाणीजी के दो मुख्य योगदानों के कारण भी तर्कसंगत हो जाता है। पहला- आडवाणीजी द्वारा राजनीतिक शुचिता में नया मापदंड स्थापित करना, तो दूसरा- सार्वजनिक विमर्श में छद्म-सेकुलरवाद और इस्लामी कट्टरवाद के राजकीय तुष्टिकरण को तथ्यों-तर्कों के साथ चुनौती देना है।

वर्तमान विरोधी दल स्वयं को ‘सेकुलर’ और शत-प्रतिशत गांधीवाद से प्रेरित होने का झंडा बुलंद करते है। परंतु वे भूल जाते है कि सार्वजनिक जीवन में गांधीजी ने शुचिता (परिवारवाद का विरोध सहित) का सदैव पालन किया था। इसके कई उदाहरण है, जिन्हें शब्दसीमा की बाध्यता के कारण एक आलेख में समाहित करना असंभव है। स्वतंत्र भारत में जिन विरल राजनीतिज्ञों ने इस मर्यादा का अनुसरण किया, वे वैचारिक रूप से गांधी दर्शन के सबसे निकट रहे। उन्हीं में से एक— लालकृष्ण आडवाणीजी भी हैं। जब 1990 के दशक में विपक्ष में रहते हुए जैन हवाला कांड में उनका नाम जुड़ा, तब उन्होंने अपनी राजनीतिक विश्वसनीयता को अक्षुण्ण रखने हेतु वर्ष 1996 में लोकसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया और निर्दोष सिद्ध होने तक संसद न जाने का प्रण लिया। जब दिल्ली उच्च न्यायालय (1997) और सर्वोच्च अदालत (1998) ने आडवाणी को बेदाग घोषित किया, तब उन्होंने 1998 में चुनावी राजनीति में वापसी की।

भारत रत्न लाल कृष्ण आडवाणी

इसी प्रकार की राजनीतिक शुचिता संबंधित परंपरा का निर्वाहन वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किया हैं। जब 2002 के गुजरात दंगा मामले में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी से पूछताछ हेतु सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांचदल (एसआईटी) ने 2010 में बुलाया, तब वे बिना कार्यकर्ताओं की भीड़ के गांधीनगर स्थित एसआईटी कार्यालय पहुंचे और दो सत्रों में नौ घंटे की पूछताछ में देर रात 1 बजे तक हिस्सा लिया। इसकी तुलना में वर्तमान स्थिति क्या है? यह वित्तीय-कदाचार के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा बार-बार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समन की अवहेलना करने, उनके द्वारा जेल से सरकार चलाने का दावा करने, जमीन घोटाला प्रकरण में (बतौर झारखंड मुख्यमंत्री) हेमंत सोरेन के ‘लापता’ होने, नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं राहुल गांधी-सोनिया गांधी से ईडी पूछताछ के समय कांग्रेस नेताओं-कार्यकर्ताओं द्वारा राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करने, तृणमूल-द्रमुक रूपी विरोधी दल द्वारा शासित कई राज्यों में केंद्रीय जांच एजेंसियों के आने पर रोक लगाने हेतु फरमान जारी करने और चारा घोटाले में अदालत द्वारा दोषी लालू प्रसाद यादव के साथ स्वयंभू सेकुलरवादियों द्वारा मंच साझा करने से स्पष्ट है। इस पृष्ठभूमि में आडवाणीजी और उपरोक्त विरोधी दलों— विशेषकर मोदी-विरोधियों के व्यवहार में अंतर स्पष्ट है।

वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना पश्चात आडवाणीजी ने जिस तत्कालीन प्रचलित सेकुलरवाद को तथ्यों और तर्कों से सीधी चुनौती दी, जो इस्लामी कट्टरवाद और उसकी तुष्टिकरण का पर्याय बन चुका था, वह वास्तव में नेहरूवादी दृष्टिकोण का तार्किक परिणाम था। जब 1985 में सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यप्रदेश की शाहबानो को तलाक के बाद उसके पति से गुजाराभत्ता दिलाने का ऐतिहासिक निर्णय सुनाया, तब मुस्लिम समाज का कट्टरपंथी वर्ग बौखला उठा। ‘इस्लाम खतरे में है’ और ‘शरीयत बचाओ’ नारों के साथ देश के कई हिस्सों में हजारों मुसलमानों ने हिंसक प्रदर्शन किया। अदालत का फैसला प्रगतिशील और मुस्लिम महिलाओं को मध्यकालीन दौर से बाहर निकालने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था। परंतु तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने इस्लामी कट्टरपंथियों के समक्ष आत्मसमर्पण करके और संसद में प्रचंड बहुमत के बल पर शाहबानो मामले में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय ही पलट दिया। वास्तव में, इस प्रकरण ने अपनी जड़ों से पहले कटे और वामपंथी इतिहासकारों द्वारा भ्रमित भारतीय मुस्लिम समाज के एक वर्ग में यह संकीर्ण मानस स्थापित कर दिया कि वे हिंसा के बल पर भारतीय व्यवस्था को घुटनों पर ला सकते है। कालांतर में, ऐसा हुआ भी। वर्ष 1988 में अंतरराष्ट्रीय लेखक सलमान रुश्दी के उपन्यास ‘सेटेनिक वर्सेस’ को राजीव गांधी सरकार ने भारतीय मु‌स्लिम समाज की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए प्रतिबंधित कर दिया। यही हश्र कालांतर में, तसलीमा नसरीन की ‘लज्जा पुस्तक’ के साथ भी हुआ। कालांतर में, कांग्रेस नीत संप्रग सरकार द्वारा ‘हिंदू/भगवा आतंकवाद’ का फर्जी-झूठा सिद्धांत गढ़ना, 2005 से बार-बार हिंदू विरोधी ‘सांप्रदायिक विधेयक’ को संसद से पारित कराने का प्रयास, असंवैधानिक ‘मुस्लिम-आरक्षण’ की पैरवी और 2007 में शीर्ष अदालत में हलफनामा देकर श्रीराम को काल्पनिक बताना आदि उसी छद्म-सेकुलरवाद का असफल उपक्रम था।

वास्तव में, 1980 के दशक का श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन और सितंबर-अक्टूबर 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा— भारत में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का विस्तार था। स्वतंत्रता के तुरंत बाद इस मामले में किस प्रकार सामाजिक, प्रशासनिक और राजनीतिक रूप से प्रतिबद्धता थी, उसका उल्लेख इसी कॉलम में बीते 21 जनवरी 2024 को प्रकाशित मेरे लेख ‘क्यों करनी पड़ी इतनी लंबी प्रतीक्षा’ में विस्तार से है। श्रीरामजन्मभूमि पर यह सहमति कुछ अपवादों को छोड़कर 1984 तक थी। तब कांग्रेस के गांधीवादी नेता और देश के दो बार अंतरिम प्रधानमंत्री रहे गुलजारीलाल नंदा के साथ उत्तरप्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेता और पूर्व मंत्री दाऊदयाल खन्ना भी रामजन्मभूमि की मुक्ति हेतु संघर्ष का समर्थन कर रहे थे। चूंकि उनकी शक्ति सीमित थी, तब उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मोरपंत पिंघले और अशोक सिंघल का साथ मिला, जिन्होंने रामजन्मभूमि आंदोलन को अतुलनीय गति प्रदान की। इस सांस्कृतिक युद्ध में जनमानस को जोड़ने में आडवाणीजी की अध्यक्षता में 9-11 जून 1989 को पारित भाजपा के पालमपुर घोषणापत्र और उनके नेतृत्व में सितंबर-अक्टूबर 1990 निकाली गई रथयात्रा ने अग्रणी भूमिका निभाई।

वर्ष 1987 में एक हिंदी पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार में आडवाणीजी ने कहा था, “भारतीय मुसलमानों के किसी भी वर्ग के लिए स्वयं को बाबर के साथ जोड़ना, वैसा ही है जैसे ईसाई समाज दिल्ली में गांधीजी की मूर्ति के स्थान पर जॉर्ज पंचम की मूर्ति लगाने हेतु इसलिए झगड़ा कर रहे हो, क्योंकि जॉर्ज पंचम ईसाई थे। गांधीजी हिंदू थे, परंतु वे इस देश के हैं और जॉर्ज पंचम नहीं। इसी तरह श्रीराम इस देश के हैं… इतिहास और सांस्कृतिक मुद्दे पर मैं मुस्लिम नेतृत्व से विनती करूंगा कि यदि इंडोनेशिया के मुसलमान राम और रामायण पर गर्व कर सकते हैं, तो भारतीय मुसलमान क्यों नहीं?” तब आडवाणीजी ने हिंदू-मुस्लिम समस्या की नब्ज़ पर सीधा हाथ रखा था। सच तो यह है कि भारतीय मुस्लिम समाज का एक वर्ग आज भी गौरी, गजनवी, बाबर, खिलजी, अब्दाली, औरंगजेब, टीपू सुल्तान रूपी इस्लामी आक्रांताओं को अपना नायक मानता है, जिन्होंने इस भूखंड की सांस्कृतिक अस्मिता को रौंदकर इस्लाम का वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास किया था।

आडवाणीजी ने सदैव राष्ट्र प्रथम प्राथमिकता दी। जब वे रामजन्मभूमि पर अपनी रथयात्रा को लेकर राजनीति के शिखर पर थे, तब उन्होंने 1995 में मुंबई के भाजपा महाधिवेशन में बतौर पार्टी अध्यक्ष, अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री पद का पार्टी उम्मीदवार बनाने की घोषणा की। इसपर आडवाणीजी अपनी जीवनी में लिखते हैं, “जो मैंने किया वह कोई बलिदान नहीं। वह उस तर्कसंगत मूल्यांकन का परिणाम है कि क्या सही है और क्या पार्टी तथा राष्ट्र के सर्वोत्तम हित में है।“ यही विशेषताएं आडवाणीजी को ‘भारत-रत्न’ बनाती हैं।

बलबीर पुंज

श्री बलबीर पुंज, लेखक वरिष्ठ स्तंभकार, पूर्व राज्यसभा सांसद और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय-उपाध्यक्ष हैं। हाल ही में उनकी ‘ट्रिस्ट विद अयोध्या: डिकोलोनाइजेशन ऑफ इंडिया’ (Tryst With Ayodhya: Decolonisation Of India) पुस्तक प्रकाशित हुई है
संपर्क:- punjbalbir@gmail.com

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उत्तराखंड कैबिनेट ने UCC ड्राफ्ट को दी मंजूरी, कल विधानसभा में पेश होगा बिल https://khabarvahini.com/archives/4348 https://khabarvahini.com/archives/4348#respond Sun, 04 Feb 2024 15:41:22 +0000 https://khabarvahini.com/?p=4348 खबर वाहिनी न्यूज ब्यूरो देहरादून : उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने समान नागरिक संहिता (UCC) के ड्राफ्ट को मंजूरी दी। समान नागरिक संहिता के मसौदे को उत्तराखंड मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने से राज्य विधानसभा में इसे पेश करने का रास्ता खुल गया है। इसके लिए ही उत्तराखंड विधानसभा का चार दिन का विशेष सत्र सोमवार से शुरू […]

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खबर वाहिनी न्यूज ब्यूरो

देहरादून : उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने समान नागरिक संहिता (UCC) के ड्राफ्ट को मंजूरी दी। समान नागरिक संहिता के मसौदे को उत्तराखंड मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने से राज्य विधानसभा में इसे पेश करने का रास्ता खुल गया है। इसके लिए ही उत्तराखंड विधानसभा का चार दिन का विशेष सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है, जहां यूसीसी बिल को रखा जाएगा। रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में उनके सरकारी आवास पर हुई बैठक में कैबिनेट ने यूसीसी ड्राफ्ट को पारित कर दिया।

बता दें उत्तराखंड की धामी सरकार पिछले कई दिनों से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की तैयारी में है। 2 फरवरी को यूसीसी कमेटी ने धामी सरकार को यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट सौंपा। जिसके बाद धामी सरकार ने यूसीसी का विधिक परीक्षण करवाया। इसके साथ ही सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर अन्य औपचारिकताएं पूरी की है।

UCC कानून में क्या है?
उत्तराखंड में रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित समिति ने UCC की ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार की है। इस ड्राफ्ट में एक ऐसे कानून को बनाने की बात है जो शादी, तलाक, संपत्ति, जाति से संबंधित मामलों में सभी धर्मों पर एक समान लागू होगा। मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी गई थी।

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कंचन काया राम की , नयन कमल समानदर्शन करती दुनियां,करती प्रभु को प्रणाम ।। https://khabarvahini.com/archives/4296 https://khabarvahini.com/archives/4296#respond Fri, 02 Feb 2024 17:12:32 +0000 https://khabarvahini.com/?p=4296 आपकी आस्था ही आपका विश्वास हैं! मूर्तिकार ने जब यह मूर्ति बनाई तब उसका स्वरूप उसे इस प्रकार का बिल्कुल नहीं लगा जैसे उसमें कोई ऊर्जा समाहित हो परंतु प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम का स्वरूप और निखार एकदम से अलग हो गया हमारे वेद मन्त्रों से निकलने वाली ऊर्जा बहुत ही सकारात्मक होती है […]

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आपकी आस्था ही आपका विश्वास हैं!

मूर्तिकार ने जब यह मूर्ति बनाई तब उसका स्वरूप उसे इस प्रकार का बिल्कुल नहीं लगा जैसे उसमें कोई ऊर्जा समाहित हो परंतु प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम का स्वरूप और निखार एकदम से अलग हो गया हमारे वेद मन्त्रों से निकलने वाली ऊर्जा बहुत ही सकारात्मक होती है जो की पत्थर में भी प्राण फूंक दे। यही सनातन धर्म की शक्ति है वह खुद इतना सकारात्मक है कि सभी को स्वीकार करते हुए स्वयं का अस्तित्व बनाए रखता हैं। परंतु आज प्रश्न यह उठता है कि हम जिस सनातन धर्म को मानते हैं उनके मंदिर प्रांगण में जहां हम प्रभु रूपी अपने ईष्ट को नमन करते हैं उन्हें पूजन करते हैं क्या वहां से हम उस ऊर्जा को अपने साथ बनाए रखते हैं।

लोग आज भी नशा करते हैं बड़ी मात्रा में पाप करते हैं फिर भी मंदिर जाते हैं परंतु क्या यह उचित है हम ऐसे द्वेष और बुराइयों के साथ मंदिर जाना आना जारी रखें ??? यदि हम मंदिर जाते हैं तो हमें भी वहां से सद्भाव लेकर आना चाहिए नशा जैसी बुराइयों को दूर करना चाहिए। यदि हम अनैतिक हैं और मंदिर जाकर भी हमारे अंदर बदलाव नहीं ला पा रहे तो हमारा मंदिर जाना व्यर्थ है । फिर तो मंदिर जाना हमारे लिए सिर्फ भीड़ बढ़ने के बराबर है ।यह एक ऐसा उद्देश्य हैं जिसमें हम मंदिर प्रांगण को भी पर्यटन स्थल की तरह वहां पर भीड़ बढ़ता देखकर आना पसंद करते हैं ।परंतु मंदिरों का सही उद्देश्य आपके अंदर उचित बदलाव और नैतिकता होना चाहिए।समस्त प्रकार की बुराइयों और द्वेष को दूर कर अच्छी सद्भावनाओं को अच्छी ऊर्जा का अपने अंदर वहन करना ही हमारे मंदिर स्थल पर जाने का कारण होना चाहिए।

भगवान की तो हम घर में भी पूजा करते हैं परंतु मंदिर में लगातार पूजा पाठ के चलते एक सकारात्मक ऊर्जा की स्थापना हो जाती है और इस सकारात्मक ऊर्जा को हम अपने अंदर ग्रहण कर अपने जीवन में भी सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। कहने का अर्थ है यदि हम मंदिर जाकर भी अपने अंदर कोई बदलाव नहीं ला पा रहे लगातार पाप कर्म कर रहे हैं नशे की लत को अपना रहे हैं तो कहीं ना कहीं हम अनुशासन का उल्लंघन कर रहे हैं जिसकी इजाजत हमारा सनातन धर्म भी नहीं देता। हमें अपने इष्ट को प्राप्त करने और मंदिर प्रांगण में जाने के लिए खुद को भी बदलना होगा यदि हम सनातन धर्म को मानते हैं तो हमें हर प्रकार के नशे से दूर रहने की कोशिश करना चाहिए हमें नैतिक होना चाहिए।

आशी प्रतिभा (स्वतंत्र लेखिका)
मध्य प्रदेश, ग्वालियर, भारत

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सीएम धामी को मिला समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट, उत्तराखंड में यह आएगा बदलाव https://khabarvahini.com/archives/4284 https://khabarvahini.com/archives/4284#respond Fri, 02 Feb 2024 10:14:02 +0000 https://khabarvahini.com/?p=4284 खबर वाहिनी न्यूज देहरादून : उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने का वादा कर, आम विधानसभा नाव जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्रित्व वाली सरकार ने शुक्रवार को इस दिशा में महत्वपूर्ण दूसरा कदम बढ़ा दिया। यूसीसी की संस्तुतियों के लिए गठित सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई […]

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खबर वाहिनी न्यूज

देहरादून : उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने का वादा कर, आम विधानसभा नाव जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्रित्व वाली सरकार ने शुक्रवार को इस दिशा में महत्वपूर्ण दूसरा कदम बढ़ा दिया। यूसीसी की संस्तुतियों के लिए गठित सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने शुक्रवार को अपनी सिफारिशों का ड्राफ्ट धामी को सौंप दिया।

मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित एक सादा समारोह में श्रीमती देसाई ने समिति सदस्यों के साथ यह ड्राफ्ट धामी को सौंपा। समिति ने राज्य के प्रथम गांव माना के रहवासियों से इसे लागू करने के संदर्भ में दो वर्ष पहले राय ली। इसके बाद 42 अन्य क्षेत्रों में जाकर जनसुनवाई के माध्यम से यूसीसी लागू किए जाने के बारे में विचार जाने। अब यह ड्राफ्ट शनिवार को होने वाली मंत्रिमंडल बैठक में रखा जाएगा जिसमें समुचित विचारोपरांत, इसे आगामी विधानसभा सत्र में विधेयक के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। संभावना है कि पांच फरवरी से शुरू होने वाले सत्र में इसे प्रस्तुत किया जाएगा। इसके लागू होने पर उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा, जहां यह लागू होगा। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद महिलाओं के अधिकार बढ़ जाएंगे।

प्रदेश में बहु विवाह पर रोक लगेगी। अभी मुस्लिम समाज के पर्सनल लॉ के तहत चार विवाह की इजाजत मिली हुई है। इसके अलावा संपत्ति में अधिकार पर भी बड़ा फैसला हो सकता है। लड़के और लड़कियों का पैत्रिक संपत्ति में अधिकार मिलेगा। मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार मिलेगा। गोद लेने की प्रक्रिया सरल की जाएगी। लड़कियों को भी लड़कों के बराबर विरासत का अधिकार दिया जा सकता है। मुस्लिम समुदाय के भीतर इद्दत जैसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लग सकता है। वहीं, पति और पत्नी दोनों को तलाक की प्रक्रियाओं को लेकर समान अधिकार मिलेंगे।

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कविता शीर्षक : कलियुग में रंग बदलता इंसान https://khabarvahini.com/archives/4240 https://khabarvahini.com/archives/4240#respond Mon, 29 Jan 2024 18:04:26 +0000 https://khabarvahini.com/?p=4240 युग युग का है खेलबदलता है  यहां इंसान हरपलस्वार्थ सिद्ध हेतु करे सबसे  मेललोगों की अजीब दास्तान  आज कलकलियुग में बदलता इंसान किसीको आसानी से ठग करअपनी खुशी का आगाज करक्या ,मूर्ख सब लोग  सम्झ करअपनी आदत से, हो कर मजबूरकलियुग में बदलता इंसान पापो की गठरी पर  लद करचलते रहे  कूमार्ग परफल से अनजान […]

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युग युग का है खेल
बदलता है  यहां इंसान हरपल
स्वार्थ सिद्ध हेतु करे सबसे  मेल
लोगों की अजीब दास्तान  आज कल
कलियुग में बदलता इंसान

किसीको आसानी से ठग कर
अपनी खुशी का आगाज कर
क्या ,मूर्ख सब लोग  सम्झ कर
अपनी आदत से, हो कर मजबूर
कलियुग में बदलता इंसान

पापो की गठरी पर  लद कर
चलते रहे  कूमार्ग पर
फल से अनजान रह कर
जीता रहा नास्तिक बनकर
कलियुग में बदलता इंसान

खबर वाहिनी न्यूज हेतु स्वरचित रचना

वर्षा शिवांशिका, कुवैत

युवा कवयित्री वर्षा शिवांशिका, कुवैत

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राम जी संवार रहे हैं भाजपा के सारे काम, टूटते जा रहे हैं दुश्मन तमाम https://khabarvahini.com/archives/4219 https://khabarvahini.com/archives/4219#respond Sun, 28 Jan 2024 16:44:53 +0000 https://khabarvahini.com/?p=4219 खबर वाहिनी न्यूज दिल्ली ब्यूरो : लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में जुटे सभी राजनीतिक दलों के सामने हर रोज नया सियासी घटनाक्रम सामने आ रहा है। एकजुटता के दावे करने वाले विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन का कुनबा धीरे-धीरे बिखरता जा रहा है। एक तरफ भाजपा नीत एनडीए उत्साह और ऊर्जा से भरपूर है। […]

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खबर वाहिनी न्यूज

दिल्ली ब्यूरो : लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में जुटे सभी राजनीतिक दलों के सामने हर रोज नया सियासी घटनाक्रम सामने आ रहा है। एकजुटता के दावे करने वाले विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन का कुनबा धीरे-धीरे बिखरता जा रहा है। एक तरफ भाजपा नीत एनडीए उत्साह और ऊर्जा से भरपूर है।


एक तरफ टीएमसी ने कांग्रेस को आंखें दिखाते हुए पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया वहीं पंजाब में सीेएम भगवंत मान भी कांग्रेस से गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दे चुके हैं। ऊपर से 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद देश में आस्था की लहर चल पड़ रही है और इस लहर के केंद्र बिंदु में पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा है। आज बिहार में सीएम नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद शाम को जेडीयू और भाजपा में नया गठबंधन होने जा रहा है। यानि भाजपा के दोस्तों की संख्या बढ़ गई है और दुश्मनों की आपसी दोस्ती में बिखराव पैदा हो गया है।

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उत्तराखंड के मदरसों में पढ़ाई जाएगी रामायाण, वक्फ बोर्ड का बड़ा फैसला https://khabarvahini.com/archives/4224 https://khabarvahini.com/archives/4224#respond Sun, 28 Jan 2024 16:41:07 +0000 https://khabarvahini.com/?p=4224 खबर वाहिनी न्यूज उत्तराखंड (बबली तिवारी) : उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने बड़ा फैसला लिया है। बोर्ड ने फैसला लिया है कि संबद्ध मदरसों में अब रामायण पढ़ाई जाएगी। रामायण को पाठ्यक्रम के तौर पर शामिल किया जाएगा। नया पाठ्यक्रम बोर्ड के तहत कुल 117 मदरसों में से शुरू में 4 मदरसों में शुरू किया जाएगा। […]

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उत्तराखंड (बबली तिवारी) : उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने बड़ा फैसला लिया है। बोर्ड ने फैसला लिया है कि संबद्ध मदरसों में अब रामायण पढ़ाई जाएगी। रामायण को पाठ्यक्रम के तौर पर शामिल किया जाएगा। नया पाठ्यक्रम बोर्ड के तहत कुल 117 मदरसों में से शुरू में 4 मदरसों में शुरू किया जाएगा।

भगवान राम की कहानी को आगामी 2024 शैक्षणिक सत्र से चार मदरसों – देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधम सिंह नगर जिलों में से प्रत्येक में पढ़ाया जाएगा। मदरसों में रामायण पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भी भर्तियां की जाएंगी। इसके बाद शेष 113 मदरसों में भी इसे शुरू किया जाएगा।

एक रिपोर्ट के अनुसार वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा कि जब हम अपने छात्रों को लक्ष्मण के बारे में बता सकते हैं, जिन्होंने अपने बड़े भाई के लिए सब कुछ त्याग दिया, तो उन्हें औरंगजेब के बारे में बताने की क्या जरूरत है, जिसने सिंहासन पाने के लिए अपने भाइयों को मार डाला। 4 पहचाने गए मदरसों में एक उचित ड्रेस कोड भी लागू किया जाएगा।

बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि हम कुरान के साथ-साथ छात्रों को रामायण भी पढ़ाएंगे। शादाब शम्स ने कहा कि 4 चयनित मदरसों को स्मार्ट कक्षाओं के साथ मॉडल मदरसों के रूप में विकसित किया जाएगा। इन संस्थानों के शैक्षिक मानकों को उन्नत करने की सख्त जरूरत है और हम राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की किताबें पेश करने की प्रक्रिया में भी हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

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