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हनुमान जी को आज तक इन लोगों ने देखा था साक्षात रूप में

खबर वाहिनी ब्यूरो “धर्म”

बजरंगबली बजरंगबली को इन्द्र से इच्छामृत्यु का वरदान मिला। श्रीराम के वरदान अनुसार कल्प का अंत होने पर उन्हें उनके सायुज्य की प्राप्ति होगी। सीता माता के वरदान के अनुसार वे चिरंजीवी रहेंगे। वे आज भी अपने भक्तों की हर परिस्थिति में मदद करते हैं। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने रामभक्त हनुमानजी को साक्षात देखा है। उन्हीं में से कुछ लोगों के बारे में हम आपको बताते हैं।

भीम ने देखा!!!!!!!!

भीम अपने बड़े भ्राता की आज्ञा का पालन करते हुए ऋषि पुरुष मृगा को खोजने निकल पड़े। खोजते-खोजते वे घने जंगलों में पहुंच गए। जंगल में चलते वक्त भीम को मार्ग में लेटे हनुमानजी दिखाई दिए। भीम ने लेटे हुए हनुमानजी को बंदर समझकर उनसे अपनी पूंछ हटाने के लिए कहा। तब बंदर ने चुनौती देते हुए कहा कि अगर वह उसकी पूंछ हटा सकता है तो हटा दे, लेकिन भीम उनकी पूंछ हिला भी नहीं पाए। तब जाकर उन्हें एहसास हुआ कि यह कोई साधारण बंदर नहीं है। यह बंदर और कोई नहीं, बल्कि हनुमानजी थे। भीम ने यह जानकर हनुमानजी से क्षमा मांगी।

अर्जुन ने देखा!!!!!!!

एक दिन अर्जुन रामेश्वरम चले गए। वहां उनकी मुलाकात हनुमानजी से हुई थी। रामसेतु देखकर अर्जुन ने कहा कि मैं होता तो यह सेतु बाणों से बना देता। यह सुनकर हनुमान ने कहा कि आपके बाणों से बना सेतु एक भी व्यक्ति का भार झेल नहीं सकता। तब अर्जुन ने कहा कि यदि मेरा बनाया सेतु आपके चलने से टूट जाएगा तो मैं अग्नि में प्रवेश कर जाऊंगा।

हनुमानजी ने कहा कि मुझे स्वीकार है। मेरे दो चरण ही इसने झेल लिए तो मैं हार स्वीकार कर लूंगा। बस फिर क्या था, अर्जुन ने बाणों का सेतु बनाया। हनुमानजी का पहला पग पड़ते ही सेतु डगमगाने लगा और टूट गया। यह देख अर्जुन अग्नि जलाकर खुद को जलाने लगे। तभी श्रीकृष्ण प्रकट हुए और अर्जुन से बोले कि श्रीराम का नाम लेकर सेतु बनाओ।

अर्जुन ने ऐसा ही किया। हनुमानजी से फिर पग रखा लेकिन इस बार सेतु नहीं टूटा। तब हनुमान ने अर्जुन से कहा कि वे युद्ध के अंत तक उनकी रक्षा करेंगे। इसीलिए कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन के रथ के ध्वज में हनुमान विराजमान हुए और अंत तक उनकी रक्षा की।

माधवाचार्यजी ने देखा!!!!!!!!

माधवाचार्यजी का जन्म 1238 ई में हुआ था। माधवाचार्यजी ने हनुमानजी को साक्षात देखा था। माधवाचार्यजी एक महान संत थे जिन्होंने ब्रह्मसूत्र और 10 उपनिषदों की व्याख्या की है। माधवाचार्यजी प्रभु श्रीराम के परम भक्त थे। यही कारण था कि एक दिन उनको हनुमानजी के साक्षात दर्शन हुए थे। संत माधवाचार्य ने हनुमानजी को अपने आश्रम में देखने की बात बताई थी। माधवाचार्यजी 79 वर्ष की अवस्था में सन् 1317 ई. में ब्रह्म तत्व में विलीन हो गए।

तुलसीदासजी ने देखा!!!!!!!

तुलसीदासजी के विषय में जो साक्ष्य मिलते हैं उसके अनुसार इनका जन्म 1554 ईस्वी में श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। तुलसीदासजी जब चित्रकूट में रहते थे तब जंगल में शौच करने जाते थे और शौच का जल जो शेष रह जाता था, उसे वे एक शमी वृक्ष के ऊपर डाल देते थे। जिस शमी वृक्ष के ऊपर वे जल डालते, उसके ऊपर एक प्रेत रहता था। प्रेत इस कार्य से प्रसन्न हो गया और एक दिन उसने तुलसीदास के समक्ष प्रकट होकर कहा कि आप मुझसे कुछ भी मांग लें।

तुलसीदासजी ने कहा कि प्रभु दर्शन के अलावा मेरी कोई इच्छा नहीं है। प्रेत ने कहा कि ऐसा तो मैं कर नहीं सकता लेकिन मैं एक रास्ता बता सकता हूं। वह यह कि जहां भी हरिकथा होती है, वहां हनुमानजी किसी न किसी रूप में आकर बैठ जाते हैं। मैं तुम्हें इशारे से बता दूंगा। वे ही तुम्हें प्रभु दर्शन करा सकते हैं।

बस यही हुआ और तुलसीदासजी ने हनुमानजी के पैर पकड़ लिए। अंत में हारकर कुष्ठी रूप में रामकथा सुन रहे हनुमानजी से भगवान के दर्शन करवाने का वचन दे दिया। फिर एक दिन मंदाकिनी के तट पर तुलसीदासजी चंदन घिस रहे थे। भगवान बालक रूप में आकर उनसे चंदन मांग-मांगकर लगा रहे थे, तब हनुमानजी ने तोता बनकर यह दोहा पढ़ा- ‘चित्रकूट के घाट पै भई संतनि भीर। तुलसीदास चंदन घिसे, तिलक देत रघुवीर।’

समर्थ_रामदास ने देखा!!!!!!!!

समर्थ स्वामी रामदास का जन्म रामनवमी 1608 में गोदा तट के निकट ग्राम जाम्ब (जि. जालना) में हुआ। वे हनुमानजी के परम भक्त और छत्रपति शिवाजी के गुरु थे। महाराष्ट्र में उन्होंने रामभक्ति के साथ हनुमान भक्ति का भी प्रचार किया। हनुमान मंदिरों के साथ उन्होंने अखाड़े बनाकर महाराष्ट्र के सैनिकीकरण की नींव रखी, जो राज्य स्थापना में बदली। कहते हैं कि उन्होंने भी अपने जीवनकाल में एक दिन हनुमानजी को देखा था।

राघवेन्द्र_स्वामी ने देखा!!!!!!

1595 में जन्मे रामभक्त राघवेन्द्र स्वामी माधव समुदाय के एक गुरु के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनके जीवन से अनेक चमत्कारिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं। उनके बारे में भी कहा जाता है कि उन्होंने भी हनुमानजी के साक्षात दर्शन किए थे।

नीमकरोलीबाबा ने देखा!!!!!!

नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उत्तरप्रदेश के अकबरपुर गांव में उनका जन्म 1900 के आसपास हुआ था। उन्होंने अपने शरीर का त्याग 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में किया था। बाबा नीम करोली हनुमानजी के परम भक्त थे और उन्होंने देशभर में हनुमानजी के कई मंदिर बनवाए थे। नीम करोली बाबा के कई चमत्कारिक किस्से हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि हनुमानजी उन्हें साक्षात दर्शन देते थे।

कहते हैं कि जो भी हनुमानजी का परम भक्त होता है, हनुमानजी उसे किसी न किसी रूप में दर्शन दे ही देते हैं या आसपास अपनी उपस्थिति को प्रकट कर देते हैं। ऐसे सैकड़ों हनुमान भक्त हैं जिन्होंने अपने अनुभव में बताया है कि हनुमानजी हमारी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हरसंभव मदद करते हैं। हनुमानजी की भक्ति ही हमारे जीवन का आधार है।

डॉ0_विजयशंकरमिश्र:।।

Khabar Vahini
Author: Khabar Vahini

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