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कविता:

दर्द में पीकर के आँसू गीत गाना आ गया है
अब मुझे अवहेलना में मुस्कुराना आ गया है

कुछ नहीं संचित जगत में सब यही खोकर है जाना
जग को तुम सौपोंगे जो भी लौटकर वो ही है आना
आचरण सद्भाव और व्यवहार जग में छोड़कर
स्मरण इसके सिवा कुछ भी नहीं रखता जमाना
जिंदगी इस सच के संग मुझको बिताना आ गया है
अब मुझे अवहेलना में……

छीनकर अधिकार मेरा सौंप दो सरताज उसको
दे सकोगे क्या मेरा तुम शब्द और आवाज उसको
मुझमें है पुरुषार्थ मेरी प्रार्थना स्वीकार होगी
मैं प्रतीक्षा के सहारे देती चुनौती आज उसको
हर एक क्षण से साम्यता मुझको निभाना आ गया है
अब मुझे अवहेलना में……

आयु से अनुभव का रिश्ता अब पुराना हो गया
नए तजुर्बों का मेरे घर आना जाना हो गया
एक चेहरे पर लिए एक और चेहरा घूमते
वो जो था मासूम अब कितना सयाना हो गया
कौन क्या बोलेगा मुझको ये तक बताना आ गया है
अब मुझे अवहेलना में…….

स्वरचित रचना : प्रियंका राय ओमनंदिनी

प्रसिद्ध कवियित्री एवं साहित्यकारा

Khabar Vahini
Author: Khabar Vahini

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