मुंबई. Govind Namdev Exclusive Interview: गोविंद नामदेव ने अपने 30 साल के फिल्मी करियर में कई यादगार किरदार निभाए हैं. वह इंडस्ट्री में अपने विचारों और मूल्यों के लिए जाने जाते हैं. वह महात्मा गांधी समेत भारत को आजादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सैनानियों को खूब मानते हैं. वह गांधी जी के विचारों को आज भी मानते हैं और उनके अनुसार ही अपनी लाइफ स्टाइल को फॉलो करते हैं. न्यूज 18 हिंदी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि गांधी जी के विचार उनके लिए आज भी प्रासंगिक है. गोविंद ने साल 2000 में आई फिल्म ‘डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर’ और साल 1993 में आई फिल्म ‘सरदार’ में काम किया.
ममूटी (Mamoothy) स्टारर ‘डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर’ में उन्होंने भीमराव अंबेडकर के पिता रामजी मालोजी सकपाल का किरदार निभाया था और परेश रावल (Paresh Rawal) स्टारर ‘सरदार’ में वह सरदार वल्लभ भाई पटेल के असिस्टेंट के किरदार में थे. उन्होंने महात्मा गांधी के बारे में कहा, “जो काम वो कर गए, वो और कोई नहीं कर सका. लोगों ने उन्हें महात्मा की उपाधि दी. पूरी दुनिया ने उन्हें माना. उनका स्वागत किया. स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही.”
गोविंद नामदेव (Govind Namdev) ने कहा,”महात्मा गांधी की अगुवाई में आंदोलन हुआ और उन्होंने पूरे देश को इकट्ठा किया. इसके अलावा चंद्रशेखर आजाद और शहीद भगत सिंह भी अहम योगदान दे रहे थे. गरम दल और नरम दल दोनों अपने-अपने तरीके से काम कर रहे थे. दोनों दलों का महत्व है. आजादी में महात्मा गांधी की भूमिका महत्वपूर्ण है. उनके जो विचार है और सिद्धांत हैं, वो क्रांतिकारी हैं.”
महात्मा गांधी के विचार आदमी को मजबूत बनाते हैंः गोविंद नामदेव
गोविंद नामदेव ने कहा,”गांधी जी के विचार और सिद्धांत लोगों को मजबूत बनाते हैं. एक बड़ा व्यक्तित्व बनाते हैं. इस वजह से मैं उनसे बहुत प्रभावित हूं.” इसके अलावा उन्होंने फिल्मों में गांधी जी के विचारों से टकराने वाले विचारकों पर भी अपनी राय रखी. जब उनसे पूछा गया कि ‘डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर’ में गांधी जी, ‘सरदार’ में गांधी जी और इस साल फरवरी में रिलीज हुई ‘गांधी वर्सेज गोडसे’ (Gandhi Vs Godse) में गांधी जी और इस तरह की कई फिल्मों में गांधी जी को अलग-अलग तरीके से पेश किया गया है. क्या बीते कई सालों में गांधी जी को अलग छवि दिखाने की कोशिश की गई है?
90 प्रतिशत सही, तो 10 प्रतिशत गलत फैसले…ः गोविंद नामदेव
इस पर गोविंद नामदेव ने कहा, “विचारों के मतभेद के बीच में अगर 100 में 90 डिसीजन सही हुए, तो 10 प्रतिशत फैसले ऐसे होते हैं, जिन पर सवाल उठते हैं. इस दौरान ऐसे कई फैसले होते हैं, जो उस समय सही लगते हैं, लेकिन बाद में उसका गलत असर होता है कि ऐसा नहीं करना चाहिए. ऐसा करना चाहिए था. अब (इन दिनों) ऐसी बहुत सारी चीजें हैं, जो हमारी संस्कृति, भारतीयता और हिंदुत्व के खिलाफ नजर आ रही हैं. तो जब तक साक्ष्य न हो तब तक कुछ कहना मुश्किल है. अगर 10 पर्सेंट कुछ गलतियां हैं और 90 पर्सेंट आदमी सही है, तो हम 10 पर्सेंट के लिए उसे नकार नहीं सकते.”
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FIRST PUBLISHED : June 07, 2023, 15:06 IST