युग युग का है खेल
बदलता है यहां इंसान हरपल
स्वार्थ सिद्ध हेतु करे सबसे मेल
लोगों की अजीब दास्तान आज कल
कलियुग में बदलता इंसान
किसीको आसानी से ठग कर
अपनी खुशी का आगाज कर
क्या ,मूर्ख सब लोग सम्झ कर
अपनी आदत से, हो कर मजबूर
कलियुग में बदलता इंसान
पापो की गठरी पर लद कर
चलते रहे कूमार्ग पर
फल से अनजान रह कर
जीता रहा नास्तिक बनकर
कलियुग में बदलता इंसान