देश मे पूरा विपक्ष बीजेपी और पीएम मोदी को हराने के लिए एकजुट होने पर लगा है और विपक्ष ने उसके लिए PDA नाम भी निश्चित कर लिया है और अब तक जो सामने आया है उससे स्पष्ट है की कांग्रेस इसमे महत्वपूर्ण भूमिका मे होगी, बीजेपी ने चुनाव से पहले ब्रह्मास्त्र के रूप मे ” यूनिफार्म सिविल कोड़ ” चलाकर नये नये बन रहे मोर्चे के समीकरण बिगाड़ दिये क्योंकि विपक्षी पार्टियां इसका समर्थन करे या विरोध, फायदा बीजेपी को होता दिखाई दे रहा है क्योंकि प्रत्येक धर्म के कट्टरपंथियो को छोड़ दे तो देश मे हर धर्म का आम नागरिक यूनिफार्म सिविल कोड़ को पसंद कर रहा है, इस कारण बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए यूनिफार्म सिविल कोड़ और अगले साल अयोध्या मे तैयार होने वाले राम मंदिर को अपना मुख्य चुनावी एजेंडा एक तरह से घोषित कर दिया है, यूनिफार्म सिविल कोड़ का आम आदमी पार्टी ने भी समर्थन किया है जिससे देखकर लगता है की अन्य विपक्षी पार्टियों को भी इसके समर्थन मे आना पड़ेगा, विपक्षी पार्टियों का बीजेपी के खिलाफ गठबंधन जमीनी स्तर पर सफल होना काफ़ी कठिन दिखाई दे रहा है क्योंकि विपक्षी पार्टियों के नेता तो इकट्ठा हो सकते है लेकिन जमीनी स्तर पर उनके कार्यकर्त्ता और वोट बैंक का इकट्ठा होना आसान नहीं है ।
क्योंकि जो लोग वर्षो से राजनैतिक दुश्मनी के कारण एक दूसरे का विरोध करते आ रहे हो वे किस प्रकार अपनी विरोधी पार्टी को वोट देंगे, देश मे अगर विपक्षी पार्टियों का ये गठबंधन सिरे चढ़ता है तो हरियाणा मे भूपेंद्र हुड़्डा की राजनीति को खत्म कर देगा क्योंकि जैसी की खबरे आ रही है उससे हरियाणा मे कांग्रेस और ईनलो का लोकसभा के लिए गठबंधन हो सकता है जिसका सीधा असर कांग्रेस की बजाए भूपेंद्र हुड़्डा पर होगा और वह गठबंधन भूपेंद्र हुड़्डा की जाट समुदाय की राजनीति के समीकरण बिगाड़ देगा, इसके अलावा ये संभावना भी सुनने मे आ रही है की बीजेपी से गठबंधन तोड़कर जजपा भी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन मे शामिल हो सकती है और अगर ऐसा होता है तो भूपेंद्र हुड्डा हरियाणा की राजनीति मे हाशिये पर चले जायेंगे और ये समीकरण हरियाणा मे बनते दिखाई दे रहे है क्योंकि राष्ट्रीय पटल पर विपक्षी पार्टियां चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को गठबंधन मे शामिल करने से अनदेखा नहीं कर सकती है ।
यही वजह है की भूपेंद्र हुड़्डा इस गठबंधन पर एतराज उठा रहे है लेकिन लोकसभा चुनावो मे 2024 मे भूपेंद्र हुड़्डा का हरियाणा मे कोई असर ना दिखाई देने से कांग्रेस, ईनलो या जजपा का गठबंधन सिरे चढ़ते दिखाई दे रहा है जिसका हरियाणा की जींद जिले की राजनीति पर भी गहरा असर पड़ेगा, पहले अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव इकट्ठा होते है तो ईनलो या जजपा जींद को अपना गढ़ बताते हुए सौदेबाजी करेगी जिसका सीधा असर कांग्रेस पर पड़ेगा, दूसरे अबकी बार हरियाणा मे आम आदमी पार्टी कांग्रेस को विधानसभा चुनाव मे सीधा नुकसान करेगी, जींद जिले मे भूपेंद्र हुड़्डा का कोई राजनैतिक वजूद नहीं है । 2019 के विधानसभा मे जींद जिले की 5 मे से चार विधानसभा सीटो पर भूपेंद्र हुड़्डा के उम्मीदवारो की जमानत जब्त हुई थी और सफीदों विधानसभा की सीट जीतने मे भूपेंद्र हुड़्डा की कोई भूमिका नहीं थी बल्कि उम्मीदवार की खुद की छवि थी ।
इस कारण जींद के पांचो विधानसभा चुनाव मे भूपेंद्र हुड़्डा की कोई भूमिका नहीं होगी, नरवाना और जींद विधानसभा क्षेत्र मे कांग्रेस उम्मीदवार रणदीप सुरजेवाला के गुट से होने की उम्मीद है जिसमे जींद विधानसभा, जो गैर जाट सीट है, मे रघुबीर भारद्वाज और राजकुमार गोयल मे से एक कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते है लेकिन जींद विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस ओबीसी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश सैनी की भी अनदेखी नहीं की जा सकती, इस कारण इन तीनो मे से कांग्रेस का एक उम्मीदवार होने की उम्मीद है, बीजेपी से वर्तमान विधायक कृष्ण मिड्डा फाइनल है तो आम आदमी पार्टी से उसके प्रदेश अध्यक्ष डॉ सुशील गुप्ता या महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष डॉ रजनीश जैन मे से उम्मीदवार होंगे ।
अबकी बार जो राजनैतिक समीकरण दिखाई दे रहे है उनमे आम आदमी पार्टी को जींद जिले मे कुछ हासिल करने के लिए जींद या जुलाना हल्के मे से एक मे ब्राह्मण समुदाय के उम्मीदवार को टिकट देनी होगी जिस कारण अगर डॉ सुशील गुप्ता जुलाना हल्के से चुनाव लड़ते है तो जींद हल्के से डॉ अशोक तंवर से जुड़े आम आदमी पार्टी के नेता राधेश्याम शर्मा या सुभाष कौशिक को मौका मिल सकता है और अगर डॉ सुशील गुप्ता जींद हल्के से चुनाव लड़ते है तो जुलाना हल्के से डॉ अशोक तंवर और डॉ सुशील गुप्ता के सांझे और एकमात्र मजबूत ब्राह्मण उम्मीदवार पूर्व जिला पार्षद रमेश ढिगाना का चुनाव लड़ना तय दिखाई दे रहा है, वैसे भी जुलाना हल्के मे रमेश ढिगाना डॉ अशोक तंवर और उनकी टीम से जुड़े होने के कारण आम आदमी पार्टी के सबसे मजबूत उम्मीदवार है बाकी अन्य किसी भी आम आदमी पार्टी के नेता का कद, गाँव के सरपंच पद का चुनाव लड़ने का भी नहीं है, एक नेता की कार्यप्रणाली के कारण तो जुलाना हल्के की डॉ अशोक तंवर की टीम उसका खुलेआम बहिष्कार का निर्णय ले चुकी है, अबकी बार जो राजनैतिक जातीय समीकरण बनते दिखाई दे रहे है उससे भी जींद जिले मे हर विपक्षी पार्टी को एक हल्के से ब्राह्मण समुदाय को टिकट देना अबकी बार मजबूरी दिखाई दे रहा है जिसमे केवल जुलाना हल्का आम आदमी पार्टी के समीकरणो के अनुसार है, जजपा से जुलाना हल्के के वर्तमान विधायक अमरजीत ढांडा का चुनाव लड़ना तय है तो बीजेपी का नया उम्मीदवार होगा,इस कारण विपक्षी पार्टियों का गठबंधन होता है तो ना केवल हरियाणा बल्कि जींद जिले मे भूपेंद्र हुड्डा की राजनीति बिल्कुल खत्म होती दिखाई दे रही है क्योंकि जींद जिले मे टिकट मिली भी तो रणदीप सुरजेवाला के गुट को मिलती दिखाई दे रही है क्योंकि 2019 मे भूपेंद्र हुड़्डा के सारे उम्मीदवारो की जींद जिले मे जमानत जब्त होने से कांग्रेस पार्टी भूपेंद्र हुड़्डा को जींद मे महत्व नहीं देगी
नोट: लेखक के निजी विचार