खबर वाहिनी न्यूज ब्यूरो
मेरे बच्चे की किलकारी मुझे माँ बनाती है,
मैं हँसती हूँ उस पल में जो गुड़िया मुस्कुराती है ।
मेरे बच्चे की किलकारी मुझे माँ बनाती है।।
नया सम्बन्ध बना हैं यूँ उसे देने हैं जीवन मूल्य,
उसे मैं सीख देती हूँ वो मुझें जीना सिखाती है ।
मेरे बच्चे की किलकारी मुझे माँ बनाती है।।
कभी जो चोट लगे तो गुड़िया मरहम लगाती है,
नए समाज में ढलना मुझें हर पल बताती है ।
मेरे बच्चे की किलकारी मुझे माँ बनाती है ।।
मन में हैं आशाएं बड़े धूमधाम से व्याहुँगी,
मगर विदाई का जो मैं सोचुँ आँखे भर ही आती है ।
मेरे बच्चे की किलकारी मुझे माँ बनाती है।।
सुखद एहसास है उसका होना भी,
मेरी बिटिया मेरे कामो में मेरा हाथ बटाती है ।
मेरे बच्चे की किलकारी मुझे माँ बनाती है ।।
कभी आए कोई मेहमां हमारे घर,
मैं बातें करती हूँ गुड़िया नास्ता ले आती है।
मेरे बच्चे की किलकारी मुझे माँ बनाती है।।
सिखाना कुछ नहीं पड़ता वो खुद सब सीख जाती है,
कहाँ झुकना है रुकना है माँ बस इतना बताती है ।
मेरे बच्चे की किलकारी मुझे माँ बनाती है।
लेखक
© अमित पाठक
बोकारो झारखंड