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चंडीगढ़ मेयर चुनव मामला : क्या सही क्या गलत

संग्राम सिंह राणा (अधिवक्ता एवं राजनितिक चिंतक व लेखक)

संग्राम सिंह राणा (अधिवक्ता एवं राजनितिक चिंतक व लेखक)

देश की अदालतो को किसी विषय पर दोनो पक्षो के सबूत और सफाई सुनने से पहले अनावश्यक टिप्पणी करने से बचना चाहिए, चंडीगढ़ मेयर चुनाव पर माननीय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को इस विषय पर बिना दूसरे पक्ष को सुने की गई टिप्पणी कहना उचित होगा, इस विषय मे माननीय सुप्रीम कोर्ट को मेयर चुनाव के चुनाव अधिकारी का पक्ष सुनने के बाद ही उस पर टिप्पणी करना ज्यादा न्याय संगत दिखाई देता क्योंकि हर सिक्के के दो पहलू होते है और केवल एक पहलू देखने से सच्चाई का अंदाजा लगाना आसान नहीं होता है.

मेयर चुनाव के भी कई पहलू है, मीडिया की खबरो के अनुसार खुद सुप्रीम ने कहा की “चुनाव अधिकारी कैमरे की तरफ क्यों देख रहे है और भगोड़े की तरह क्यों भाग रहे है? इसका दूसरा पहलू ये भी है की कोई भी गलत काम करने वाला व्यक्ति जानबूझकर अपने खिलाफ सबूत नहीं छोड़ेगा तो मेयर चुनाव का निर्वाचन अधिकारी क्यों खुद के गलत काम करते हुए की वीडियो आराम से बनवाएगा? निर्वाचन अधिकारी का मीडिया  के सामने बयान भी आया था की विपक्षी पार्टियों के पार्षदो ने उससे बैलेट पेपर छीनने की कोशिश की जिससे सम्भव है की निर्वाचन अधिकारी ने अपने और बैलेट पेपर के बचाव के लिए इधर उधर दौड़ना पड़ा हो और इसके अलावा निर्वाचन अधिकारी को इतना तो पता था की ये मामला हर हालात मे अदालत मे जायेगा तो ये विश्वास करना मुश्किल है की वो जानबूझकर अपने खिलाफ सबूत इकट्ठा करेगा?

इसके अलावा मेयर चुनाव का अन्य पहलू ये भी है की आख़िरकार मेयर चुनाव मे 8 वोट ही रद्द क्यों हुए जबकि बीजेपी प्रत्याशी का काम तो इससे कम वोट रद्द होने से ही चल जाता? फिर ये भी सवाल है की अभी तक उन 8 पार्षदो मे से किसी ने भी मीडिया के सामने आकर चुनाव अधिकारी पर धांधली का आरोप नहीं लगाया है की उनके वोट चुनाव अधिकारी ने जानबूझकर रद्द किये है?

अभी तक कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने चुनाव होने के बाद भी अपनी सच्चाई को साबित करने के लिए अपने पक्ष के सारे 20 पार्षदो को मीडिया के सामने लाकर ये साबित करने की कोशिश नहीं की की उनके  पूरे के पूरे 20 पार्षद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी को ही वोट देना चाहते थे, इस कारण अभी मेयर चुनाव के मामले मे कई अनसुलझे पहलू है जिन्हे माननीय सुप्रीम कोर्ट मे सुलझना बाकी है, इस कारण माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनाव अधिकारी, पूरे चुनाव की पूरी विडिओ रिकॉर्डिंग, असली बैलेट पेपर, चुनाव के दौरान घटी सभी घटनाये आदि को पूरी तरह देखने, सुनने और जाँच करने के बाद मेयर चुनाव पर टिप्पणी करना ज्यादा न्यायसंगत प्रतीत होता, बाकी अगर चुनाव अधिकारी ने जानबूझकर गलत काम किया होगा तो उसे उसके गलत कार्य के लिए सजा सुनाने की माननीय सुप्रीम कोर्ट के पास असीमित शक्ति है लेकिन देश की जनता, देश की सर्वोच्च न्याय पालिका से हमेशा यही उम्मीद करती है की उसके किसी भी फैसले, विचारो से देश की जनता को महसूस हो की इस मामले मे न्याय पालिका ने उचित फैसला किया है.

आम आदमी पार्टी को सुप्रीम कोर्ट की इस मामले की गई टिप्पणी से ज्यादा उत्साहित नहीं होना चाहिए क्योंकि उनकी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल पिछले कई महीनो से ED के समन लेने के बाद भी जाँच के लिए पेश ना होकर देश के सविंधान, क़ानून और माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित कानूनों की खुलेआम अवहेलना करके देश के क़ानून और न्यायिक व्यवस्था का मजाक उड़ा रहे है और बहाना क्या बना रहे है की लोकसभा चुनाव मे प्रचार से रोकने के लिए ED उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है, अरविन्द केजरीवाल देश की जनता को जवाब दे की मध्य प्रदेश सहित चार राज्यों के चुनाव से पहले भी ED के समन के बारे मे उन्होंने ये बयान दिया था की ED इन चार राज्यों के विधानसभा चुनावो मे प्रचार से रोकना चाहती है और उन्हें विधानसभा चुनावो के बाद समन भेजने चाहिए लेकिन अरविन्द केजरीवाल अगर देश के क़ानून को मानते तो चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद ED के सामने पेश होकर जाँच मे सहयोग करते, चार राज्यों के विधानसभा चुनाव को गुजरे दो महीने से ज्यादा होने के बाद भी अरविन्द केजरीवाल ED के सामने जानबूझकर पेश ना होकर देश के क़ानून का लगातार अपमान कर रहे है और अब लोकसभा चुनाव के प्रचार का बहाना बना रहे है.

अरविन्द केजरीवाल जवाब दें कि अब तक देश मे उनके सामने हुए लोकसभा चुनाव मे उनके प्रचार से आम आदमी पार्टी ने कितनी लोकसभा सीट जीती है? दिल्ली मे दो बार भारी बहुमत से विधानसभा जीतने वाले केजरीवाल अपने प्रचार से दिल्ली मे एक लोकसभा सीट अपनी पार्टी को नहीं जीता सके.

उनके प्रचार से मध्यप्रदेश सहित चार राज्यों के विधानसभा चुनाव मे आम आदमी पार्टी के शायद ही किसी उम्मीदवार की जमानत चार राज्यों मे बची हो ना तो आम आदमी पार्टी के सभी उम्मीदवारो के नोटा से कम वोट आए, पंजाब मे बम्पर जीत के बाद संगरूर लोकसभा सीट के उपचुनाव मे आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार अरविन्द केजरीवाल के प्रचार से बुरी तरह चुनाव हारा, पंजाब चुनावो मे बड़ी जीत के बाद हरियाणा के आदमपुर उपचुनाव मे अरविन्द केजरीवाल और भगवत मान, दो दो मुख्यमंत्रियों के प्रचार से आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने के आस पास भी नहीं पहुंच सका, इस कारण अरविन्द केजरीवाल को लोकसभा चुनावो के प्रचार का बहाना ना बनाकर देश के क़ानून की इज्जत करते हुए ED के सामने जाँच के लिए पेश होना चाहिए क्योंकि उनके चुनावी प्रचार से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जीतते नहीं है बल्कि उनकी जमानत जब्त होती है और उन बेचारे उम्मीदवारो की अपनी जमीन जायदाद बेचकर जमा की गई पूंजी अरविन्द केजरीवाल के प्रचार के कारण  चुनावो की भेंट चढ़ जाती है.

संग्राम सिंह राणा (अधिवक्ता एवं राजनितिक चिंतक व लेखक) की कलम से साभार

Khabar Vahini
Author: Khabar Vahini

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