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जींद (08 फरवरी) : जींद की अधिष्ठात्री देवी माता जयंती देवी के प्राकट्य दिवस पर आयोजित होने वाले मां जयंती महायज्ञ का शुभारंभ आज विशाल पालकी यात्रा एवं कलश यात्रा के साथ हुआ। स्थानीय रानी तालाब स्थित भूतेश्वर मंदिर में श्री जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन कुमार कौशिक ने जींद नगर परिषद की चेयरपर्सन डॉ अनुराधा सैनी और हरियाणा के मुख्यमंत्री के मीडिया कोऑर्डिनेटर अशोक छाबड़ा की उपस्थिति में माता जयंती देवी की पालकी यात्रा का पूजन करवाया।
डॉ अनुराधा सैनी और अशोक छाबड़ा ने कहा कि जींद की अधिष्ठात्री देवी मां जयंती देवी की कृपा जींद पर बनी रहे और यह शहर लगातार तरक्की करे। यहां सामाजिक समरसता, सांप्रदायिक सौहार्द्र, आपसी भाईचारा और प्रेम प्यार बना रहे इसी कामना के और लेकर माता के प्राकट्य दिवस पर यह महायज्ञ हर साल आयोजित किया जाता है और इस साल भी किया जा रहा है।
माघ मास की शुक्ल पक्ष की चौदस को माता के प्राकट्य दिवस पर 11000 कन्याओं के पूजन के साथ यह महायज्ञ संपन्न होगा।
11000 कन्याओं के पूजन के इस महायज्ञ की शुरुआत आज 1100 से अधिक महिलाओं द्वारा कलश यात्रा निकालकर की गई। कलश यात्रा भूतेश्वर मंदिर से शुरू होकर राम मंदिर, सिटी थाना, मेन बाजार, पंजाबी बाजार, शिव चौक, रुपया चौक होते हुए जयंती देवी मंदिर पहुंची। जहां सैकड़ो की तादाद में भक्तों ने कलश यात्रा का स्वागत किया। कलश यात्रा के प्रति महिलाओं का जोश देखते ही बनता था।
इस अवसर पर रोहित गोयल,महेंद्र मंगला, राजेंद्र शर्मा, सागर कौशिक, अजय सचदेवा, राम सुनेजा आदि श्रद्धालु मौजूद थे।
कलश यात्रा के दौरान माता के जयकारों से माहौल गूंजायमान हो रहा था। मुख्यातिथि डॉ. अनुराधा सैनी ने कलश यात्रा को झंडी दिखाने से पहले कहा कि मानव कल्याण और सुख-समृद्धि के लिए शतचंडी पाठ एवं यज्ञ का अहम महत्व है। उन्होंने कहा कि मां की कृपा से हर दुख का निवारण होता है। इस तरह के धार्मिक आयोजनों से सामाजिक कुरीतियां तो दूर होती ही है साथ में लोगों के अंदर जो आपसी मन-मुटाव होता है, वह भी खत्म हो जाता है।
शहर के बीच से निकाली गई इस कलश यात्रा और पालकी यात्रा को देखते हुए थाना शहर पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। शहर के तंग रास्तों को देखते हुए पुलिस आगे चलकर रास्ता बनवाने का काम कर रही थी।
यहां बता दें कि महाभारत के समय पांडवों ने जींद में जयंती देवी मंदिर की स्थापना की थी और यहां जयंती देवी की पूजा कर युद्ध भूमि में उतरे थे। माता जयंती देवी ने ही पांडवों को जीत का वरदान दिया था जिससे उनकी जीत सुनिश्चित हुई।