एक तरफ बृजभूषण सिंह,6 बार से लगातार सांसद, 12 साल से लगातार कुश्ती संघ का अध्यक्ष, महिला पहलवानो सहित हर व्यक्ति का बयान की भारतीय कुश्ती को उसने नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, 12 साल तक किसी भी प्रकार का कोई आरोप नहीं लगा, महिला पहलवान और अन्य पिता तुल्य दर्जा देते रहे,बाहुबली और दबँग की छवि, 38 मुकदमे, ज्यादातर पिता और भाई की हत्या से आपसी दुश्मनी के मुकदमे लेकिन कोई भी मुकदमा बलात्कार या किसी औरत के शारीरिक शोषण का नहीं लगा था, किसी भी केस में सजा नहीं हुई, अप्रैल 2023 में महिला पहलवानो द्वारा पिछले 10-12 साल मे हुए शारीरिक शोषण के आरोप के पहली बार मुकदमे, दूसरी तरफ बजरंग पुनिया, उसकी पत्नी संगीता फोगाट,उसकी साली विनेश फोगाट और उसका पति, साक्षी मलिक और उसका पति, सभी पिछले 12-15 से कुश्ती मे, परिवार के अन्य सदस्य भी कुश्ती मे, पिछले दस साल से दिपेन्द्र हुड्डा, हरियाणा कुश्ती संघ का अध्यक्ष, सभी पहलवान उसके नजदीकी, दिपेन्द्र हुड्डा और बृजभूषण सिंह की WFI के अध्यक्ष पद की पिछले 12 साल से लड़ाई जगजाहिर, कुश्ती के लिए या पहलवानो के लिए पहले कभी आवाज़ नहीं उठाई, जनवरी में बृजभूषण का महिला पहलवानो की बजाए दिपेन्द्र हुड्डा पर पहलवानो का इस्तेमाल करके कुश्ती संघ पर कब्जा करने की साजिश रचने का आरोप, महिला पहलवानो पर बिना ट्रायल अंतराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेलने के लिए आंदोलन करने का आरोप, बृजभूषण पर पिछले 10-12 साल में शारीरिक शोषण का आरोप लगाने वाली महिला पहलवान और उनके पति इकट्ठा कुश्ती खेलने के बावजूद भी अपनी पत्नियों के साथ गलत होता देखकर भी चुप रहे,महिला पहलवान भी खुद का शारीरिक शोषण 10-12 साल से करवाने के बाद भी मेडल, पैसे, शोहरत, नौकरी के लिए चुप रही, शारीरिक शोषण की याद पहली बार सभी को कुश्ती संघ के चुनाव से तुरंत पहले आई, दिपेन्द्र हुड्डा कुश्ती संघ का प्रदेश अध्यक्ष होते हुए भी महिला पहलवानो का शारीरिक शोषण 10-12 साल से देखता रहा, जनवरी मे धरने से पहले सभी महिला पहलवानो के लिये बृजभूषण पिता तुल्य, शादी विवाह और पारिवारिक कार्यकर्मो में खूब आना जाना, जनवरी मे शारीरिक शोषण का कोई आरोप नहीं केवल बृजभूषण सिंह को हटाने की माँग, नाबालिग महिला पहलवान तस्वीर में भी नहीं थी, महिला पहलवानो की माँग पर IAO की कमेटी गठित, एक सप्ताह के बाद उनकी मर्जी से उनकी बहन बबीता फोगाट कमेटी में शामिल, कमेटी के सामने सभी के बयान व वीडियोग्राफी, कमेटी द्वारा बृजभूषण के खिलाफ कोई सबूत ना मिलने पर बृजभूषण को हटाने की कोई सिफारिश नहीं करना, कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होने से पहले बबीता फोगाट के माध्यम से रिपोर्ट का पता चलने पर बिना सबूत कमेटी की रिपोर्ट को गलत बताते हुए 21 अप्रैल को जंतर मंत्र पर धरने पर बैठना, बारह साल तक चुप रहने के बाद पहली बार बृजभूषण के खिलाफ शारीरिक शोषण के आरोप लगाना, विनेश फोगाट आदि के शारीरिक शोषण के आरोप से बृजभूषण के खिलाफ गिरफ्तारी लायक मुकदमा नहीं बनता था इस कारण बृजभूषण की गिरफ्तारी के लिये पूरी योजना के तहत नाबालिग लड़की और उसके जन्म मृत्यु के फर्जी दस्तावेज तैयार करके पोकसो मे मुकदमा दर्ज करवाना, मुकदमा दर्ज कराने के लिए किसी भी पुलिस अधिकारी और देश की सबसे निचली अदालत में ना जाकर मामले को राष्ट्रव्यापी और देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाना ताकि कह सके की देश में मेडल विजेता महिला खिलाड़ियों के शारीरिक शोषण के मुकदमे बिना सुप्रीम कोर्ट के दर्ज नहीं होते, फिर नाबालिग लड़की के फर्जी दस्तावेजो के आधार पर दर्ज झूठे पोकसो एक्ट के मुकदमे मे मे बृजभूषण की गिरफ्तारी के लिए विनेश फोगाट आदि द्वारा आकाश पाताल एक करना, महिला नाबालिग पहलवान के फर्जीवाड़े की सच्चाई बाहर ना आ सके इसलिए बिना जाँच बृजभूषण की गिरफ्तारी के लिए अराजकता करना, विभिन्न विपक्षी पार्टियों, किसान संगठनों, अराजक तत्वों, खापो, पंचायतो को जंतर मंत्र पर आमंत्रित करना, देश को खामियाजा भुगतने की धमकी देना, देश की जनता की भावनाओ का दुरूपयोग करने के लिये बिना सबूत देश की निर्दोष हजारों महिला पहलवानो को चरित्रहीन घोषित करते हुए वेश्या की तरह सप्लाई होने के आरोप लगाना, अपने खुद के ब्यानो से झूठा साबित होना, खुद राजनैतिक मंचो पर जाकर बहन बेटी की इज्जत की लड़ाई लड़ने की गुहार लगाना, बिना नौकरी से छुट्टी लिये सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करना, क़ानून तोड़कर बिना कानूनी इजाजत के 37 दिन जंतर मंत्र पर 24 घंटे धरना देना जबकि वहाँ धरने का समय सुबह दस से पांच बजे तक था, जंतर मंत्र पर नियमों का तोडना, जंतर मंत्र पर देश विरोधी और जाति विरोधी नारे लगाने वाली ताकतों को आमंत्रित करना, विदेशी पहलवानो को आमंत्रित करके देश को बदनाम करने की कोशिश करना, मेडल वापिस करने की धमकी देना, इंटरनेशनल स्तर पर मेडलो की बोली लगाने की धमकी देना, साजिश के तहत नये संसद भवन के उदघाटन पर खुलेआम क़ानून का उल्लंघन करके अराजकता फैला कर देश को पूरे विश्व के सामने बदनाम करना, देश की अमानत मेडलो को गंगा में बहाने की धमकी देने की नौटंकी करके देश की जनता की भावनाओ से खेलना और फिर देश के मेडलो को अराजकतावादी नेताओं को सौपना, देश की सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट आदि को तुच्छ समझकर खापो से नीचा समझना, दिल्ली पुलिस, IAO कमेटी सहित किसी की जाँच पर विश्वास नहीं करना, दिल्ली पुलिस पर विश्वास ना होने के बावजूद भी कभी भी सीबीआई या अन्य एजेंसी या न्यायिक आयोग से जाँच की ना माँग करना ना सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट में इसके लिये याचिका डालना,शुरू से लेकर अब तक एक ही मुख्य अलोकतान्त्रिक माँग कुश्ती संघ में बृजभूषण और उसके किसी आदमी को चुनाव से दूर रखना, नाबालिग के फर्जी वाड़े का भंडाफोड़ होने और महिला पहलवानो सहित अन्य की कुश्ती संघ पर कब्जे की साजिश का देश की जनता के सामने आना, शुरू से लेकर अभी तक तीन पति पत्नियों के अलावा देश के किसी भी पहलवान या किसी भी खेल के खिलाडी द्वारा समर्थन नहीं देना, नारको टेस्ट करवाने की कहकर टेस्ट करवाने से पीछे हटना,शुरू से लेकर अब तक अपने और किसी अन्य पहलवान के शारीरिक शोषण का कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सबूत नहीं देना, जो गवाह और सबूत तैयार किये उनका महिला पहलवानो से किसी ना किसी तरह व्यक्तिगत रूप से जुड़े होना और बृजभूषण से खुदँक रखना, गवाहो के ब्यानो की पुष्टि का कोई सबूत नहीं मिलना, पूरे देश के सभी राज्यों से किसी भी किसी भी जाति, धर्म के पहलवान, महिला पहलवान, पूर्व या वर्तमान द्वारा बृजभूषण सिंह पर पिछले पांच महीनो से कोई आरोप नहीं लगाना और ना ही विनेश फोगाट आदि का समर्थन करना या उनके आरोपों की पुष्टि के लिए आगे आना,महिला पहलवानो के बयान के आधार पर 223 गवाह में से चार गवाह, जिनमे दो सगे परिवार की, दो पहले सेमहिला पहलवानो से जुड़े के अलावा किसी द्वारा भी बृजभूषण के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाना, केवल एक अखाड़े, एक परिवार, केवल दिपेन्द्र हुड़्डा से जुड़े महिला और अन्य पहलवान और गवाह जिनका किसी ना किसी तरह आपस में नजदीकी संबंध, गवाहो का भी पिछले 10-12 साल में नाबालिग महिला पहलवान के फर्जीवाडा खुलने पर पहली बार मीडिया के सामने आना आदि और इस मामले के अन्य सभी तथ्यों को देखा जाये तो बृजभूषण सिंह शुरू से ही तस्वीर से गायब है और अभी तक उसका केवल यही पहलू देश के सामने आया है की वो बीजेपी का सांसद है,पिछले बारह साल से कुश्ती संघ का अध्यक्ष था,30-40 आपराधिक मुकदमे उसके खिलाफ दर्ज हुए जिसमे उसकी कोई सजा नहीं हुई और शुरू से एक ही स्टैंड की “मेरे खिलाफ आरोप सिद्ध हुए तो खुद फांसी चढ़ जाऊंगा, शुरू से खुद के खिलाफ सबूत देने की माँग ” और इसके अलावा महिला पहलवानो के बिना सबूत के शारीरिक शोषण के आरोप है जिनमे विनेश फोगाट और नाबालिग महिला पहलवान और उसके पोकसो एक्ट के फर्जीवाड़े की सच्चाई सामने आ चुकी है तो दूसरी तरफ विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया, भूपेंद्र हुड़्डा, दिपेन्द्र हुड़्डा, कांग्रेस पार्टी सहित अन्य पार्टियां, राकेश टिकेट जैसे सारे अराजक नेता, बिना दोनो पक्षों को सुने और सच्चाई जाने बिना एकतरफा फैसला लेकर महिला पहलवानो का समर्थन करने वाली खापे,पंचायते, महिला पहलवानो द्वारा देश को बदनाम करने की साजिश जिसे सारे देश ने देखा, नाबालिग महिला पहलवान के फर्जी दस्तावेज करके देश की प्रतिष्ठा को खत्म करने की साजिश, क्या इसके बावजूद भी देश और हरियाणा की जनता को सच जानने की जरूरत रही है की महिला पहलवानो और उसके पीछे खडे लोगो का बहन बेटी की इज्जत के नाम पर देश को बदनाम करने की साजिश रचने के पीछे क्या मकसद था? बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक आदि अगर अब भी बृजभूषण को गलत साबित करने का कोई ठोस सबूत नहीं दे सके तो देश की जनता जो अब तक चुप है, 38-40 आपराधिक मुकदमे वाले बृजभूषण को क्या कहेगी और मेडल जीतने वाली महिला पहलवानो को क्या कहेगी, वे इस बात का अंदाजा बखूबी लगा सकते है, इस कारण 15 जून तक सारा देश इंतजार कर रहा है, अराजक आंदोलन की तो महिला पहलवान और उनके पीछे खडे लोग भूल जाये क्योंकि देश की जनता को सच्चाई पता चल चुकी है और अराजक तत्वों को देश के क़ानून और जनता को जवाब देना अच्छी तरह आता है,28 मई को छोटा सा नमूना महिला पहलवान और दूसरे अराजक व्यक्ति देख चुके होंगे बाकी 15 जून के बाद महिला पहलवानो के मामले में बहुत कुछ होना बाकी है क्योंकि अभी तक देश ने महिला पहलवानो का खेल देखा है जो अभी तक झूठ पर आधारित दिखाई दे रहा है लेकिन असली दाव पेंच ब्रजभूषण के देखने बाकी है जिसके पास महिला पहलवानो के फर्जीवाड़े के सबूत मौजूद है ।
लेखक :- संग्राम सिंह राणा
(लेखक जिला न्यायालय जींद में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और लगभग 30 वर्षों से राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों से जुड़ें हैं और वो पहलवानों के मुद्दे पर बड़ी बेबाकी से अपने विचार रखते हैं)